पुलिस जब किसी संज्ञेय अपराध में FIR दर्ज करती है या मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पास कोई परिवाद दायर होता है तब जो भी जाँच रिपोर्ट पुलिस या मजिस्ट्रेट द्वारा तैयार की जाती है एवं मजिस्ट्रेट को ऐसा लगता है कि यह अपराध गंभीर है एवं इसका विचारण सत्र न्यायालय द्वारा किया जाएगा तब मजिस्ट्रेट मामले को सत्र न्यायालय किस प्रकार भेजेंगे जानते है आज।
दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 209 की परिभाषा:-
जब किसी मजिस्ट्रेट के पास पुलिस रिपोर्ट या किसी परिवाद की जांच, अन्वेषण रिपोर्ट प्राप्त होती है, एवं मजिस्ट्रेट को लगता है कि मामला सत्र न्यायालय में विचारणीय है तब:-
• मजिस्ट्रेट आरोपी को धारा 207 एवं 208 के दस्तावेज देकर मामले को सत्र न्यायालय भेज देगा। एवं आरोपी को न्यायिक हिरासत (जेल) में भेज देगा।
• आरोपी को सत्र न्यायालय में भी जमानत के लिए याचिका दाखिल करनी होगी।
• मजिस्ट्रेट सत्र न्यायालय को वो सभी दस्तावेज जो साक्ष्य के रूप में पेश किए जाएंगे भेजेगा।
• मजिस्ट्रेट जब मामले को सत्र न्यायालय में भेजेगा तब इसकी सूचना लोक-अभियोजक (सरकारी वकील) को देगा। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com
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