इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में पोते के जुर्म की सजा उसकी दादी को देने की नीयत से नगर निगम ने दादी की मालकियत के सालों पुराने मकान को अवैध बताते हुए उसे तोड़ने का नोटिस जारी कर दिया। मकान के दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए बुजुर्ग महिला को एक दिन का समय दिया गया।
परेशान दादी गुहार लगाती रही कि मकान उसके नाम है पोते के नाम नहीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिर बुजुर्ग महिला ने नगर निगम के खिलाफ हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर कर दी। कोर्ट ने इसकी सुनवाई करते हुए माना कि निगम के भवन अधिकारी ने महामारी के इस दौर में बुजुर्ग महिला के मकान को तोड़ने का नोटिस जारी कर गलत किया है। कोर्ट ने नोटिस निरस्त करते हुए नगर निगम जोन 10 के भवन अधिकारी पर पांच हजार रुपए हर्जाना भी लगाया। यह रकम याचिकाकर्ता को मिलेगी।
विजय नगर थाना पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में 29 अप्रैल को अजहर खान नामक युवक को गिरफ्तार किया था। 11 मई 2021 को नगर निगम ने अजहर की दादी चांद बी के खजराना स्थित मकान को लेकर नोटिस जारी कर दिया। भवन अधिकारी द्वारा जारी इस नोटिस में एक दिन में मकान के दस्तावेज और स्वीकृत नक्शा प्रस्तुत करने के लिए कहा था। चांद बी ने नोटिस को चुनौती देते हुए एडवोकेट लाखनसिंह चंदेल के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें कहा कि महामारी के इस दौर में जब पूरे प्रदेश में लाकडाउन है। आम आदमी के लिए घर से बाहर निकलना मुश्किल है।
नगर निगम ने दुर्भावनापूर्ण तरीके से नोटिस जारी किया है। निगम ने दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए सिर्फ एक दिन का समय दिया है। मकान कालाबाजारी के आरोपित का नहीं बल्कि उसकी दादी का है। जस्टिस विवेक रूसिया ने नगर निगम के इस कृत्य को गलत मानते हुए याचिका स्वीकार की। आदेश में कहा कि कोर्ट इसके पहले भी याचिकाओं का निराकरण करते हुए कह चुकी है कि महामारी के इस दौर में तोड़फोड़ की कार्रवाई नहीं की जाए, बावजूद इसके नोटिस दिया गया। कोर्ट ने नगर निगम जोन 10 के भवन अधिकारी द्वारा जारी नोटिस को निरस्त करते हुए भवन अधिकारी पर पांच हजार रुपये हर्जाना लगाया है। यह रकम चांद बी को मिलेगी।
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