इंदौर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित मशहूर गुलावट गांव लोटस वैली के नाम से जाना जाता है। यह लोटस वैली 300 एकड़ में एकड़ में फैली है जिसमें करीब 300 किसान कमल कमल की खेती करते हैं।
दिल्ली-मुंबई तक सप्लाई किए जाते हैं
यहां के एक किसान धनराज चौहान केवट बताते हैं कि मई-जून में जब इस क्षेत्र में पानी नहीं होता है, तब कमल के बीज रोपे जाते हैं और यहां से निकलने वाले फूल इंदौर शहर के साथ-साथ दिल्ली-मुंबई तक सप्लाई किए जाते हैं। इस साल दिवाली पर करीब ढाई से तीन लाख लाख कमल के फूल देने के लिए तैयार है।
दीपावली पर सबसे ज्यादा होती है कमल के फूल की मांग
दीपावली की पूजन में कमल के फूल का विशेष महत्व होता है। धन की देवी लक्ष्मी कमल के फूल पर ही विराजमान होती हैं। इसी कारण कमल के फूल की मांग इन दिनों बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। कमल हमारा राष्ट्रीय पुष्प है इसका वैज्ञानिक नाम नेलंबो न्यूसिफेरा है।
लोटस वैली क्या है, कहां स्थित है, कैसे पहुंचे
देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की गुलावट लोटस वैली देश दुनिया के पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा जगह बनती जा रही है। इंदौर शहर से करीब 25 किलोमीटर दूर गुलावट गांव में यशवंत सागर डेम के बैक वाटर से बनी प्राकृतिक झील में कई किलोमीटर तक आपको कमल के फूल ही फूल दिखाई देंगे। पूरी झील कमल के फूलों से गुलाबी नजर आती है।
सूर्यास्त गोवा जैसा, जंगल साउथ अफ्रीका जैसा
यहां का सनसेट कन्याकुमारी और गोवा जैसा ही है। यहां पर साउथ अफ्रीका और आसाम के जंगलों जैसे जंगल हैं। बड़े बड़े बांस के पेड़ों के पीछे से जब सूर्य की किरणें दिखती हैं तो वो नज़ारा देखने लायक होता है।
आइए जानते हैं कि कमल की खेती कैसे होती है
• कमल की खेती 6 से 8 से 8 फीट गहरे पानी में होती है।
• 2 से 3 फीट की दूरी पर हर बीज रोपा जाता है।
• 3 माह का पौधा होते ही फूल लगना शुरू हो जाते हैं।
• पौधे में हर 3 दिन में एक नया फूल खिलकर तैयार हो जाता है।
• 9 महीने में करीब 1 पौधे से 135 फूल निकलते हैं और यदि फूल नहीं तोड़े तो पूरा पौधा नष्ट हो जाता है।
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