ग्वालियर। समोसे और कचौड़ी खाने के शौकिन लॉकडाउन के दौरान परेशान न हों इसे देखते हुए दुकानदारों ने समोसे की होम डिलेवरी शुरू कर दी है। सुबह होते ही समोसे और कचौडिय़ों को बाल्टियों में भरकर बाजारों और घर पर पहुंचाए जा रहे हैं।
लॉकडाउन के चलते हलवाइयों की दुकानों के शटर पिछले 38 दिनों से डाउन हैं और जो लोग सुबह पोहा, समोसा, कचौड़ी खाने के शौकिन हैं वह कुछ दिन तक तो परेशान रहे लेकिन धीरे-धीरे इन दुकानदारों ने अपना व्यापार करने का तरीका बदलना शुरू किया और समोसे- कचौड़ी खाने वालों को होम डिलेवरी देना शुरू कर दिया है। लॉकडाउन से पहले थाल में समोसे और कचौड़ी सजे रहते थे जो समेटकर बाल्टियों में आ गए हैं। सुबह होते ही कई लोग बाल्टियों में समोसे-कचौड़ी भरकर प्रमुख बाजारों व गली मोहल्लों में पहुंचकर बेच रहे हैं।
टिक्की हमसे ले जाओ, पानी घर बनाओ
गोलगप्पे का नाम आते ही मुंह में पानी आ जाता है। गोलगप्पों के ठेलों पर सबसे ज्यादा महिलाओं की भीड़ रहती है लेकिन लॉकडाउन के चलते गोलगप्पों के ठेले नहीं लग रहे हैं जिससे इसके शौकिन उदास हैं जो ठेले पर ही खड़े होकर इसका आनंद लेते हैं। इन दिनों कई लोग सूखे गोलगप्पे बाजारों में बेच रहे हैं। ग्राहक जब पानी की बात करता है तो दुकानदार भी कह देते हैं कि गोलगप्पे हमसे ले जाओ पानी खुद बना लो। कई दुकानदारों ने गोलगप्पे बेचने का काम शुरू कर दिया है, जो कूलर, पंखे की रिपेयरिंग करते थे वह भी इन दिनों गोलगप्पे बेचते नजर आ रहे हैं, बाजार में 60 रुपए सैकड़ा के हिसाब से गोलगप्पे, स्कूटर, साइकिल और दुकानों पर बिक रहे हैं।
लॉकडाउन में हुआ सस्ता
लॉकडाउन से पहले समोसे कचौड़ी 15 से 20 रुपए के दो बाजार में मिल रहे थे, हाथ ठेले वालों ने भी अपने दाम बढ़ा दिए थे लेकिन लॉकडाउन के चलते बाल्टियों में समोसे-कचौड़ी घर-घर और गली मोहल्ले में बेचने वाले 5 रुपए का एक बेच रहे हैं। लोग भी हैरान हैं कि लॉकडाउन में तो महंगा मिलना चाहिए लेकिन सस्ता कैसे मिल रहा है।
कई लोगों ने बदला रोजगार
कई लोग चाट का ठेला लगाकर अपना कारोबार करते थे तो कुछ लोग पल्लेदारी करते थे या फिर गोली-बिस्किट बेचने का काम करते थे वह भी इन दिनों समोसे-कचौड़ी बेच रहे हैं। सुबह होते ही बाल्टियों में समोसे-कचौड़ी भरकर यह बाजारों में आ जाते हंै और सब्जी मंडियों में जो बाजार खुल रहे हैं उनमें पहुंचकर बेचना शुरू कर देते हैं। कई लोग हलवाइयों से 4 रुपए में लेकर आ रहे हैं और 5 रुपए में बेच रहे हैं।
इनके शौकिन अभी उदास
समोसे-कचौड़ी के शौकिन तो अपना शौक पूरा कर रहे हैं और पानी की टिक्की पीने वाले घर में ही अपना शौक पूरा कर रहे हैं लेकिन जो लोग पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन, मोमोस खाने के शौकिन हैं उन्हें उदास होना पड़ रहा है। बाजार में समोसे-कचौड़ी के अलावा, पोहा, बेडई, जलेबी नदारद हैं।
महिलाएं, बुजुर्ग भी जुटे कारोबार में
अब तक आपने हाथ ठेलों पर या फिर हलवाई की दुकान पर समोसे, कचौड़ी बेचते हुए युवाओं को देखा होगा लेकिन लॉकडाउन के चलते अपने परिवार का पालन, पोषण करने के लिए महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी आगे आ गए हैं और सुबह होते ही समोसे, कचौड़ी की बाल्टी भरकर बाजारों में बेचना शुरू कर देते हैं। 10 रुपए के 2 समोसे हरी चटनी के साथ दे रहे हैं। समोसे बेचने वाले एक वृद्ध का कहना है कि वह दानाओली से समोसे लेकर आ रहे हैं और एक दिन में 40 से 50 नग बेच देते हैं। एक नग पर उन्हें एक रुपए मिल रहा है।
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