सीके बोस ने कहा, ‘‘नागरिकता के मुद्दे पर भय का माहौल उत्पन्न किया जा रहा है. सत्तारूढ़ और विपक्षी दल-दोनों ही यह काम कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘केवल इस वजह से कि (कानून) संसद ने पारित किया है, इसका इस्तेमाल प्रदर्शनों की अनदेखी कर लोगों को डराने के लिए नहीं किया जा सकता. यही बात विपक्षी दलों पर भी लागू है जो जानबूझकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं.’’
बोस ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्पष्ट उल्लेख कर चुके हैं कि कानून धर्म आधारित नहीं है. उन्होंने कहा कि हालांकि कुछ अन्य नेताओं के बयानों से भ्रम पैदा हो रहा है. बोस ने कहा, ‘‘इससे निपटने के लिए, मेरा मानना है कि नए कानून में यह उपबंध शामिल किया जाना चाहिए कि सीएए धर्म आधारित नहीं है...और मुसलमानों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए.’’
सीके बोस ने पिछले महीने ट्वीट किया था, ‘‘यदि सीएए 2019 का संबंध किसी धर्म से नहीं है तो हम केवल हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, ईसाइयों और पारसियों का ही उल्लेख क्यों कर रहे हैं? मुसलमानों को भी शामिल क्यों नहीं करते? पारदर्शिता होनी चाहिए.’’
(सोर्स : ABP NEWS)
from WIDGETS TODAY https://ift.tt/38mNAdd
via
IFTTT
Social Plugin