भोपाल। दिव्यांगों की पेंशन में बीपीएल श्रेणी की शर्त बाधक नहीं बनेगी। राज्य सरकार दिव्यांग पेंशन को बीपीएल के दायरे से बाहर निकालने जा रही है। इसका फायदा 67 हजार दिव्यांगों को मिलेगा। नए प्रावधान से खजाने पर 12 करोड़ रुपए से ज्यादा का वित्तीय भार आएगा। सरकारी कर्मचारी, परिवार पेंशन के हितग्राही और आयकरदाता योजना में शामिल नहीं होंगे।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन का लाभ ज्यादा से ज्यादा प्रदेशवासियों को मिलने में आड़े आ रहे नियमों में बदलाव किया जा रहा है। इस कड़ी में दिव्यांग पेंशन से बीपीएल की अनिवार्य शर्त को हटाया जा रहा है। प्रदेश में अभी पांच लाख 25 हजार 330 दिव्यांगों को पेंशन मिल रही है।
इसमें चार लाख 44 हजार 592 बीपीएल की श्रेणी में हैं। 67 हजार दिव्यांग ऐसे हैं जो मौजूदा नियमों के चलते पेंशन पाने से वंचित हैं। इन्हें योजना के दायरे में लाने के लिए नए प्रावधान किए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रत्येक दिव्यांग को 300 रुपए प्रतिमाह पेंशन मिलती है। इनमें 80 वर्ष से अधिक उम्र वालों को 500 रुपए प्रतिमाह पेंशन दी जाती है।
इन्हें मिलेगी पेंशन
40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांगता हो।
आयु छह वर्ष से अधिक हो।
मध्यप्रदेश का मूल निवासी हो।
सरकारी सेवक व परिवार पेंशन हितग्राही न हो।
आयकरदाता न हो।
ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने रखा था प्रस्ताव
सूत्रों का कहना है कि ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने सामाजिक न्याय मंत्री गोपाल भार्गव को दिव्यांग पेंशन से बीपीएल की शर्त हटाने का प्रस्ताव दिया था। भार्गव ने इस पर अधिकारियों से बात कर सैद्धांतिक व प्रशासनिक सहमति देकर प्रस्ताव को अंतिम निर्णय के लिए कैबिनेट भेज दिया।
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