भारत में मीडिया की जो हालत है वह किसी से छुपी नहीं है. चैनलों पर सरकार का एजंडा चलाया जा रहा है और खबरों की जगह नफरत फैलाने का काम ज्यादा कर रही है देश की मीडिया. मालिक ही नहीं ऐंकर और रिपोर्टर पत्रकार कम पार्टी के प्रवक्ता के तौर पर ज्यादा दिखाई देने लगे हैं. मीडिया की निष्पक्षता पर किसी तरह का सवाल नहीं खड़ा होता क्योंकि मीडिया अब निष्पक्ष रही नहीं. इसीलिए पिछले कुछ सालों में गोदी मीडिया कहा जाने लगा. कांग्रेस के कार्यकाल में दूरदर्शन को ही सरकारी भोंपू कहा जाता था. आजतो हर चैनल सरकारी भोंपू बना हुआ है. खबरें वही चलाई जाती है, जो सरकार कहती है इसीलिए अक्सर अब चैनलों का विरोध खुल कर कहीं भी होने लगा है. यह प्रवृति ठीक नहीं है लेकिन यह हो रहा है क्योंकि चैनल खबरें नहीं दिखाते, नफरत फैलाते हैं इसलिए उनके खिलाफ भी नफरत पनपने लगी है. अब उसी भारतीय मीडिया को ही नहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता को भी वाशिंगटन पोस्ट ने आईना दिखाया है. इसे यूं भी कह सकते हैं कि धो डाला है.
दरअसल विजय चौथाईवाले ने एक वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया था- मिस्टर जेफ बेजोस, वॉशिंगटन डीसी में अपने कर्मचारियों को बताइएगा, नहीं तो आपको रिझाने की कोशिश समय और पैसे को बर्बाद करने जैसी होगी. 'वॉशिंगटन पोस्ट' के संपादक एली लोपेज ने उन्हें जवाब देते हुए लिखा कि मैं आपको साफ कर देना चाहता हूं कि जेफ बेजोस वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकारों को नहीं बताते हैं कि उन्हें क्या लिखना है. स्वतंत्र पत्रकारिता सरकारों को रिझाने के लिए नहीं होती है. हमारे पत्रकारों और लेखकों का काम भारतीय लोकतंत्र की परंपराओं के अनुसार ही होता है, जिसपर सवाल नहीं उठाया जा सकता. यह कड़ा बयान है और यह केंद्र सरकार के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाता है.
जेफ बेजोस के भारत दौरे को लेकर यह माना जा रहा था कि इस दौरान नरेंद्र मोदी और उद्योग व रेलवे मंत्री पीयूष गोयल से वे मुलाकात कर सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कहा गया कि बेजोस ने मोदी से मुलाकात का समय मांगा था लेकिन उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया. बेजोस ने अपने दौरे पर भारत में एक अरब डॉलर के निवेश का भी एलान किया है. पीयूष गोयल ने इस बारे में कहा कि बेजोस भारत में एक अरब डॉलर का निवेश कर देश पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं. माना जा रहा है कि 'कंपटीशन कमीशन ऑफ इंडिया' का अमेजन के खिलाफ जांच करना और 'वॉशिंगटन पोस्ट' का मोदी सरकार के प्रति आलोचनात्मक रवैया, मोदी व उनके मंत्रियों के बेजोस से मुलाकात न करने की प्रमुख वजह रही.
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