जबलपुर। वन विभाग मध्यप्रदेश में फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर के पद पर पदस्थ महिला अधिकारी श्रीमती अलका भूरिया को तंग करने के लिए कोरोना काल में किए गए ट्रांसफर पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने स्थगन आदेश जारी कर दिया है। श्रीमती भूरिया को पहले बैतूल से छिंदवाड़ा और फिर छिंदवाड़ा से उज्जैन ट्रांसफर किया गया था। श्रीमती भूरिया वर्तमान में छिंदवाड़ा में पदस्थ है।
रेंज ऑफिसर, फारेस्ट रेंज परासिया, छिंदवाड़ा श्रीमती अलका भूरिया का ट्रांसफर दिनांक 24/09/2020 को कार्य आयोजना, इकाई, उज्जैन कर दिया गया था। इसके पूर्व दिनांक को, 09/03/19 उनका स्थानांतरण बैतूल कर दिया गया था। परंतु, आठ माह बाद पुनः दिनाँक 12/12/19 को, उनका ट्रांसफर बैतूल से परासिया कर दिया गया था। एक वर्ष से कम समय के भीतर ही, श्रीमती भूरिया का ट्रांसफर उज्जैन कर दिया गया था, जिसकी दूरी लगभग 400 किलोमीटर है।
रेंज ऑफिसर (फॉरेस्ट रेंजर) श्रीमती भूरिया के द्वारा, उच्च न्यायालय जबलपुर की शरण, ट्रांसफर से पीड़ित होकर ली गई। उच्च न्यायालय, जबलपुर के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने बताया कि, 18 माह के माह भीतर दो बार स्थान कार्य स्थल परिवर्तित होना, कर्मचारी के परिवार के लिए कई प्रकार के व्यावहारिक संकट पैदा करने वाला था। कोर्ट को बताया गया कि, श्रीमती भूरिया के पति, का कार्यस्थल समीप है एवं एक वर्ष से कम उम्र की छोटी बच्ची के साथ में, कोरोना काल में स्थानांतरण अनुचित है।
अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी के तर्कों से सहमत होकर, माननीय हाई कोर्ट जबलपुर ने, वन विभाग को, श्रीमती भूरिया के ट्रांसफर के विरुद्ध, प्रस्तुत लंबित आवेदन के निराकरण के आदेश दिये हैं। आवेदन का निराकरण 45 दिनों में किया जाना है। अन्तरिम राहत के रूप में, कोर्ट द्वारा आदेश दिया गया है कि, श्रीमती भूरिया के उज्जैन, ट्रांसफर पर प्रकरण के निराकरण तक, यथास्थिति/स्टे रहेगा।
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