प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में साल 2025 तक 5 ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करना चाहती है. इसके लिए सरकार की ओर से तमाम दावे भी किए जा रहे हैं. लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़े सरकार के इन दावों और सपने पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं.
भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष की चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति की बैठक में भारत की आर्थिक वृद्धि दर यानी जीडीपी की समीक्षा की है. इस समीक्षा के बाद आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी का अनुमान घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है. इससे पहले आरबीआई ने 6.9 फीसदी की दर से जीडीपी ग्रोथ का अनुमान जताया था.
आरबीआई की समीक्षा रिपोर्ट के मुताबिक व्यापार तनाव बढ़ने, नो-डील ब्रेक्जिट समझौता नहीं होने और वैश्विक वित्तीय बाजार में अस्थिरता बढ़ने से बुनियादी विकास के रास्ते में जोखिम बना है. RBI के अनुसार अगस्त-सितंबर में निवेश और वृद्धि बढाने के सरकार के उपायों, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नीति में सुधार, सरकारी बैंकों में पूंजी डालने और सरकारी बैंकों के विलय से जीडीपी वृद्धि दर की रफ्तार बढ़ाई जा सकती है.
( न्यूज सोर्स : आजतक )
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