इंदौर। इंदौर के पास बसा पीथमपुर यदि एशिया का सबसे बड़ा इंडस्ट्रियल एरिया माना जाता है तो उस पर ध्यान देने की और भी ज्यादा जरूरत है। यदि यहां वाकई सबसे ज्यादा इंडस्ट्रीज हैं तो निश्चित तौर पर इनसे निकलने वाला कचरा और प्रदूषण भी ज्यादा होगा। मगर इससे निपटने के अभी कोई पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। वायु प्रदूषण अभी इसलिए कम हैं, क्योंकि आसपास हरियाली है और जनसंख्या कम है।
भविष्य में जब जनसंख्या बढ़ेगी और हरियाली, खुला क्षेत्र दोनों ही घटेगा तो प्रदूषण बहुत ज्यादा हो जाएगा। वर्तमान स्थिति को देख यह कहा जा सकता है कि इंडस्ट्री की वजह से होने वाला प्रदूषण इंदौर में दिल्ली से भी ज्यादा होगा। प्रदूषण के साथ इस शहर को जल स्त्रोत पर भी ध्यान देने की जरूरत है। यह बात दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के सहायक प्राध्यापक योगेश भारद्वाज ने कही। इन दिनों शहर में इस संस्थान के 16 स्टूडेंट्स के साथ भारद्वाज और सहायक प्राध्यापिका डॉ.रम्या कुच्छल आए हुए हैं। संस्थान के आर्किटेक्चर और एकिस्टिक्स विभाग के ये विद्यार्थी और प्रोफेसर्स केवल शहर को ही केंद्र में रखकर स्टडी नहीं कर रहे, बल्कि मांडू, महेश्वर, ओंकारेश्वर और इन चारों नगरों के बीच बसे गांवों को भी स्टडी में शामिल किया गया है।
17 सितंबर को शहर आए इस दल ने अभी तक जो स्टडी की, इसके आधार पर इनका कहना है कि शहर के विकास के अनुरूप वाटर बॉडी के रखरखाव और इंडस्ट्री से होने वाले प्रदूषण पर ध्यान देना होगा। शहर आया दल चार भागों में बंटकर स्टडी कर रहा है। इन चार भागों में पहला भाग एन्वायर्नमेंट और ईकोलॉजी का है। दूसरा भाग सोशल एंड कल्चरल, हिस्ट्री एंड आर्किटेक्चर मुद्दे पर स्टडी कर रहा है। तीसरा दल इकोनॉमी और चौथा दल इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट को लेकर स्टडी कर रहा है। यह स्टडी साल के अंत तक पूरी होगी और इसकी समग्र रिपोर्ट संस्थान में तो रखी ही जाएगी, साथ ही इंदौर नगर निगम को भी दी जाएगी। यदि नगर निगम चाहेगा तो ये टीम साथ में कार्य करने को भी सहमत है।
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