भोपाल। आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने आशंका व्यक्त की है कि 2009-2010 में हुए प्रोफेसर भर्ती घोटाला की जांच रिपोर्ट मंत्रालय से गायब कर दी गई है। श्री दुबे का आरोप है कि इस भर्ती में बड़े पैनामे पर फर्जी प्रमाण पत्र लगाए गए थे अब इस मामले का खुलासा हो जाएगा क्योंकि मप्र के मुख्य सूचना आयुक्त एके शुक्ला ने वर्ष 2009-2010 में हुई प्रोफेसर भर्ती की VIE जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने के आदेश दे दिए हैं।
आयोग ने उच्च शिक्षा विभाग को 1 माह का समय दिया
सूचना आयोग ने आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च शिक्षा विभाग को एक महीने के भीतर वर्ष 2009-2010 में प्रोफेसर भर्ती घोटाला की जांच रिपोर्ट और दोषियों पर कार्यवाही का रिकॉर्ड सार्वजनिक करने का आदेश दिया है। अजय दुबे ने मार्च 2017 में इस बहुचर्चित घोटाले की जांच रिपोर्ट और अन्य विवरण मांगा था, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने इसे छुपाते हुए आवेदक को जानकारी देने से मना कर दिया। मप्र सूचना आयोग ने इस मामले में दोषी लोक सूचना अधिकारी को जुर्माना लगाने संबंधित नोटिस को जारी करते हुए इसको तामील कराने की जिम्मेदारी प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को दी है।
कांग्रेस ने मुद्दा उठाया था, सत्ता में आई तो छुपाने लगी
ज्ञात हो कि कांग्रेस ने मप्र विधानसभा चुनाव 2018 में आरोप पत्र में इस घोटाले को उठाते हुए सत्ता में आने पर कार्यवाही करने को कहा था, लेकिन अब कांग्रेस सरकार भी प्रोफेसर भर्ती घोटाले की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रही है। अजय दुबे, आरटीआई एक्टिविस्ट का कहना है कि हमें आशंका है कि मंत्रालय से प्रोफेसर भर्ती घोटाले की जांच रिपोर्ट गायब है। सरकार अब कांग्रेस के हाथ में है। सरकार सख्ती से कार्रवाई करे। क्योंकि कई लोगों ने फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाई है।
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