भोपाल। प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ लामबंद हुए अनारिक्षत जातियों के कर्मचारियों का संगठन 'सामान्य, पिछड़ा व अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी कर्मचारी संस्था (सपाक्स)' अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। जिस 'सपाक्स' से सीएम कार्यालय की कुर्सियां हिल जातीं थीं, अब हालत यह है कि मुख्य सचिव तक उन्हे मिलने का समय नहीं दे रहे। हालात यह है कि बीते रोज बिना अपाइंटमेंट के सपाक्स का प्रतिनिधिमंडल सीएस से मिलने जा पहुंचा। मुलाकात नहीं हुई तो धरने पर बैठ गए, फिर खुद ही उठकर चले भी गए।
घटनाक्रम मंगलवार का बताया जा रहा है। सपाक्स का प्रतिनिधिमंडल मंत्रालय में मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव से मिलने जा पहुंचा। पदाधिकारियों ने मुख्य सचिव के दफ्तर के अधिकारियों से कहा कि हम बहुत दिन से समय मांग रहे हैं, हमें क्याें नहीं मिलने दिया जा रहा? एक अधिकारी ने काेई जवाब नहीं दिया ताे कई कर्मचारी वहीं धरना देकर बैठ गए। धरने का कोई असर नहीं हुआ। सबने सपाक्स के प्रतिनिधि मंडल को नजरअंदाज कर दिया तो कुछ देर बाद उन्हें संगठन के अध्यक्ष डॉ. केएस ताेमर ने समझाकर उठा दिया।
'बाहुबली' सा लोकप्रिय संगठन 'ट्यूबलाइट' सा फ्लॉप क्यों हो गया
बड़ा सवाल है फिल्म बाहुबली की तरह बिना प्रमोशन के रातों रात लोकप्रिय और पॉवरफुल हो गया संगठन 'सपाक्स' अब सलमान खान की ईद पर आई फिल्म 'ट्यूबलाइट' सा फ्लॉप क्यों हो गया। कहीं ऐसा तो नहीं कि जिनके हाथ में संगठन की कमान है, वो मंदिरों के बाहर बैनर लगाने वाली सेवा समितियों के संचालन के योग्य भी नहीं हैं। प्रबंधन के पाठ यह दृढ़तापूर्वक कहते हैं कि संगठन का निर्माण हजारों कार्यकर्ताओं की एकजुटता से होता है परंतु विनाश के लिए एक अयोग्य नेता का सर्वोच्च पद पर बैठ जान काफी है।
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