भोपाल। पंचायतों की मतदाता सूची बनाने में लापरवाही पर दो वर्ष तक का कारावास हो सकता है। इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम में संशोधन किया गया है।
संशोधन अनुसार मतदाता सूची में किसी प्रविष्टि का पुनरीक्षण करने या उसमें नाम शामिल करने अथवा हटाने के लिए नियुक्त तथा प्राधिकृत रजिस्ट्रीकरण अधिकारी या सहायक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी या कोई अन्य व्यक्ति को अधिनियम के उपबंधों के अधीन सौंपे गए कार्यों का निर्वहन नहीं करने पर कारावास की सजा दी जा सकेगी।
साधारण कारावास की सजा तीन माह से कम की नहीं होगी और अधिकतम दो वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जायेगा। कोई भी न्यायालय तब तक अपराध का संज्ञान नहीं लेगा जब तक राज्य निर्वाचन आयोग या कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी या किसी प्राधिकृत अधिकारी द्वारा लिखित में शिकायत नहीं की गयी हो।
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