इच्छा मृत्यु के अधिकार को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है। कुछ लोगों का मानना रहा है कि जिस तरह व्यक्ति को जीवन का अधिकार है, उसी तरह उसे अपनी इच्छा के मुताबिक मृत्यु का वरण करने का अधिकार भी मिलना चाहिए। इसे लेकर देश की सर्वोच्च अदालत भी समय-समय पर असमंजस की स्थिति में देखी गई है। सरकार का तर्क रहा है कि इच्छा मृत्यु को आत्महत्या की श्रेणी में रखा जाना चाहिए। पर जिन लोगों के लिए असाध्य बीमारियों की वजह से जीना दूभर हो गया हो, उन्हें इस तर्क पर जीवन रक्षक उपकरणों के सहारे जीवित रखना भी किसी सजा से कम नहीं होता। इसलिए अब सर्वोच्च न्यायालय ने विशेष स्थितियों में इच्छा मृत्यु को उचित ठहराया है। इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं श्रीशचंद्र मिश्र।
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