कविताएं: गड़रिए और भेड़ें बीहड़ में, कब गोली सीने में? और एक दिन मिल गए वे

चुका नहीं है जीवन, चुका नहीं हूं मैं भी अभी, फिर भी भिनभिना रही हैं मक्खियां

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