कहानी: भुगतान

फोन की घंटी बजी। गांव से खबर मिली कि आज सुबह हवेली में भगतराम मर गया। आंखें जैसे चलचित्र हो गर्इं। रील चलने लगी अतीत की- अपने आप। पिछले पचास बरसों से भगतराम हमारे गांव की हवेली में था। वह बार-बार कहता था- लालाजी! आपकी तीन पीढ़ियों का नमक खाया है।

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