हमने आपको पिछले लेखों में बताया था कि अगर कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं है एवं वह इस वर्ग के सदस्यों की किसी मूर्ति या इनके देवी देवताओं को जिनको यह मानते हैं उसको नष्ट करता है या क्षति पहुंचाता है तो यह गंभीर अपराध होता है, लेकिन यदि इनके दिवंगत पूर्वजों का अपमान किया जाएगा तो यह किस प्रकार का अपराध माना जाएगा। क्योंकि भारतीय दण्ड संहिता में व्यक्ति का अपमान करना मानहानि माना जाता है जो कम गंभीर अपराध है। विशेष विधि में इसका क्या प्रावधान है। आइए जानते हैं:-
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3 (1) (फ) की परिभाषा:-
अगर कोई व्यक्ति जो अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग का सदस्य नहीं है एवं वह व्यक्ति अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के अति श्रद्धा माने जाने वाले किसी दिवंगत व्यक्ति का लिखित, मौखिक, वीडियो,चित्रों आदि द्वारा अनादर या अपमान करेगा वह उपर्युक्त धारा के अंतर्गत दण्डित होगा।
अनुसूचित जाति एवं जनजाति अधिनियम,1989 की धारा 3 (1) (फ) के अंतर्गत दण्ड़ का प्रावधान:-
इस धारा के अपराध संज्ञेय एवं अजमानतीय होते हैं। इनकी सुनवाई का अधिकार क्षेत्र जिला विशेष न्यायालय करता है। सजा - इस धारा के अपराध के लिए अधिकतम पाँच वर्ष की सजा एवं जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
पीड़ित व्यक्ति को शासन द्वारा राहत सहायता राशि;-
अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) नियम,1995 नियम 12(4) के अनुसार इस अपराध के अंतर्गत पीड़ित व्यक्ति को राज्य शासन द्वारा एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता (संदाय) दी जाती है। यह राशि जिला कलेक्टर या SDM या जिला संयोजक अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्यालय द्वारा स्वीकृत होती है। :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com
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