भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना का इलाज करा चुके मरीजों में फंगल इंफेक्शन (म्यूकरमायकाेसिस) बढ़ता जा रहा है। सोमवार को हमीदिया में इसके 6 और पालीवाल अस्पताल में एक मरीज भर्ती कराया।
भोपाल एम्स में एक 54 वर्षीय मरीज के ब्लैक फंगल से संक्रमित 9 दांत और ऊपरी-निचले जबड़े की हड्डी सर्जरी कर निकाल दी गई। एक अन्य मरीज की हमीदिया में आंख निकालनी पड़ी। मंगलवार को बंसल अस्पताल में चार मरीजों की सर्जरी की जाएगी। अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. नितिन गर्ग के मुताबिक इन मरीजों को नाक के सायनस में ब्लैक फंगस है। लेकिन, एंडोस्कोपी की मदद से इसे हटा दिया जाएगा।
इसके इलाज में जरूरी इंजेक्शन एम्फोटिसिरीन-बी 50एमजी की दो दिन से शॉर्टेज है। इसकी कीमत करीब पांच हजार रु. है। इसे सीरम, ग्यूफिक्स, मायलोन, सिपला बनाती हैं। हमीदिया के ईएनटी स्पेशियलिस्ट डॉ. यशवीर जेके के मुताबिक इंजेक्शन की परेशानी है। प्रबंधन को सूचना दे दी है। जबकि दवा मार्केट के दिशा फार्मा के संचालक नितिन देवनानी ने बताया कि पहले ब्लैक फंगल के साल में एक या दो केस आते थे, इसलिए इसका स्टॉक हमेशा रहता था। मार्केट में अभी शॉर्टेज है, क्योंकि कंपनियों ने ज्यादा प्रोडक्शन नहीं किया। फिलहाल मंगलवार को यह कई जगह उपलब्ध हो जाएगा।
दो हफ्ते पहले पता चला, लेकिन आंख नहीं बचा सके खंडवा निवासी 65 वर्षीय बुजुर्ग की ब्लैक फंगस से संक्रमित हुई एक आंख को सोमवार को हमीदिया में निकाल दिया गया। ऑपरेशन ईएनटी डिपार्टमेंट की प्रमुख डॉ. स्मिता सोनी के मुताबिक मरीज को डायबिटीज थी। दो सप्ताह पहले उन्हें फंगस का पता चला। जांच के बाद उनकी नाक से ब्लैक फंगस को निकाला गया था, लेकिन दो दिन पहले ही उनकी आंख में फंगस मिल गया। इससे आंख सूज गई। इसके बाद आंख को निकालना पड़ा। फिलहाल मरीज की हालत स्थिर है।
हमीदिया में अलग वार्ड बनेगा
सरकार ने भी सोमवार को ब्लैक फंगल की स्थिति की समीक्षा की। जीएमसी के डीन से कहा गया कि ब्लैक फंगल के मरीजों के लिए 20 बेड का अलग वार्ड बनाने को कहा है। इन मरीजों का इलाज ईएनटी, न्यूरोलॉजी, नेत्र रोग, डेंटिस्ट्री डिपार्टमेंट के डॉक्टर्स की टीम करेगी। हमीदिया प्रबंधन ने इसके 150 इंजेक्शन खरीदने की कार्रवाई शुरू कर दी है।
ICMR ने राज्यों को इसकी गाइडलाइन जारी की है। सरकार ने इसे सभी मेडिकल कॉलेजों,CMHO को भेजा है।
जिन कोविड मरीजों को स्टेरॉयड दे रहे हैं, उनकी हर 8 घंटे शुगर जांची जाए।
ऑक्सीजन थैरेपी के दौरान हिम्यूडीफायर में स्टेरायल या डिस्टिल्ड वॉटर का उपयोग करें।
ब्रॉड स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स का अनुचित उपयोग नहीं किया जाए।
ऑक्सीजन मास्क, कैनुला को समय-समय पर बदला जाए
सभी पोस्ट कोविड पेशेंट की नेजल एंडोस्कोपी करें तो ब्लैक फंगल को रोका जा सकता है
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