नई दिल्ली। भारत सरकार ने डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट के लिए नए नियम अधिसूचित कर दिए हैं। नवीन नियमों के अनुसार जीवन प्रमाण पत्र की ऑनलाइन प्रक्रिया के दौरान आधार नंबर अनिवार्य नहीं होगा। यह विकल्प के तौर पर मौजूद रहेगा। बुजुर्गों ने शिकायत की थी कि आधार कार्ड नहीं होने के कारण उन्हें पेंशन प्राप्त नहीं हो पा रही है।
Aadhar card is not mandatory for pensioners
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय द्वारा 18 मार्च को जारी अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘जीवन प्रमाण के लिए आधार की प्रामाणिकता स्वैच्छिक आधार पर होगी और इसका इस्तेमाल करने वाले संगठनों को जीवन प्रमाणपत्र देने के लिए वैकल्पिक तरीके निकालने चाहिए। इस मामले में NIC को आधार कानून 2016, आधार नियमन 2016 और कार्यालय ज्ञापन और UIDAIद्वारा समय-समय पर जारी सकुर्लर और दिशानिर्देशों का अनुपालन करना होगा।’’
क्यों शुरू किया गया डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट
बुजुर्गों को पेंशन लेने के लिए अपने जीवित होने की सत्यता प्रमाणित करने के लिए के लिए लंबी यात्रा कर पेंशन वितरित करने वाली एजेंसी के समक्ष उपस्थित होना पड़ता था। या फिर वह जहां नौकरी करते थे वहां से उन्हें जीवन प्रमाणपत्र लाना होता था और उसे पेंशन वितरण एजेंसी के पास जमा कराना होता था। डिजिटल इंडिया के तहत इस समस्या का समाधान निकाला गया और डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट की शुरुआत की गई।डिजिटल तरीके से जीवन प्रमाणपत्र जारी करने की सुविधा मिलने के बाद पेंशनरों को खुद लंबी यात्रा कर संबंधित संगठन अथवा एजेंसी के समक्ष उपस्थित होने की अनिवार्यता से निजात मिल गई।
New rules of digital life certificate notified
लेकिन कई पेंशनरों ने अब इस मामले में शिकायत की है कि आधार कार्ड नहीं होने की वजह से उन्हें पेंशन मिलने में कठिनाई उठानी पड़ रही है अथवा उनके अंगूठे का निशान मेल नहीं खा रहा है। इसके लिए कुछ सरकारी संगठनों ने जहां 2018 में वैकल्पिक रास्ता निकाला था, वहीं अब जारी अधिसूचना के जरिए आधार को डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जारी करने के लिए स्वैच्छिक बना दिया गया है।
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