हमारे भारत में उद्योग या किसी संस्था में काम करने वाली श्रमिक महिलाओं के लिए भारत द्वारा द्वारा दो महत्वपूर्ण कानून बनाए गए हैं पहला 1961 में मातृत्व हितलाभ अधिनियम एवं दूसरा 1976 में समान पारिश्रमिक अधिनियम। आज के लेख में हम आपको मातृत्व हितलाभ अधिनियम 1961 की जानकारी देंगे।
सिर्फ नियमित शासकीय महिला कर्मचारी को मिलता है मेटरनिटी बेनिफिट
यह तो सभी जानते हैं कि शासकीय सेवाओं में महिलाओं को मातृत्व हितलाभ अनिवार्य रूप से प्रदान किया जाता है परंतु उद्योगों, प्राइवेट कंपनियों, यहां तक की शासकीय संस्थाओं में अस्थाई रूप से काम कर रही है दैनिक वेतन भोगी अथवा मजदूर महिलाओं को मातृत्व हितलाभ नहीं दिया जाता बल्कि उन्हें या तो नौकरी से निकाल दिया जाता है अथवा अवैतनिक अवकाश दिया जाता है।
मातृत्व हितलाभ अधिनियम, 1961 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में)
अगर कोई महिला सीधे या किसी नियोजक(एजेंसी) के माध्यम से किसी कारखाने, खदान, बागान, किसी भी कर्मकार स्थान पर काम करती है तब उस गर्भवती महिला को प्रवस के 6 सप्ताह पूर्व या एक माह पूर्व अवकाश दिया जाएगा। यह अवकाश अवधि प्रवस के 6 सप्ताह आगे तक रहता है। अवकाश के दौरान महिला को पूरा वेतन लेने का अधिकार होगा। (अधिनियम की धारा 5 में वर्ष 2017 में संशोधन कर 12 सप्ताह अवकाश को बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है।) महिला ने किसी भी नियोजन में किसी एजेंसी या सीधे कम से कम 12 महीनों में से 80 दिन काम किया हो। अगर प्रवस के दौरान महिला की मृत्यु हो जाती है तब महिला के परिवार के किसी भी सदस्य को इसका लाभ मिलेगा अधिनियम की धारा 7 के अनुसार।
दुग्धपान हेतु छूट:- महिला अगर बच्चे को लेकर काम पर जाती है तो उसे विश्राम का समय के अतिरिक्त 15- 15 मिनिट का बच्चे दो बार दुग्धपान का अवकाश प्रतिदिन दिया जाएगा(धारा 11 के अनुसार)
मातृत्व हितलाभ अधिनियम,1961 के अनुसार दण्ड का प्रावधान:-
अधिनियम की धारा 21 एवं 23 के अनुसार अगर महिला को को कोई नियोजक अधिनियम के अंतरंग मिलने वाले लाभ को नहीं देता है या जानबूझकर कर कार्य में लापरवाही करता है तब उसे 3 माह से एक वर्ष तक का कारावास और 2 हजार से 5 हजार तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
(अगर किसी महिला को प्रवस के एक माह से भी पूर्व खड़े खड़े काम करने में तकलीफ हो रही है तब भी नियोजक द्वारा उन्हें अवकाश दे दिया जाएगा। बिना किसी वेतनमान कटौती के(अधिनियम की धारा 4 के अनुसार)।
उधरणानुसार वाद;-(दैनिक मजदूरी एवं आकस्मिक कार्य पर भी लागू होगा नियम)
दिल्ली नगर निगम बनाम महिला कर्मकार (मास्टर रोल) सन् 2000 - न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया कि अधिनियम में ऐसा कही भी उल्लेख नहीं है कि केवल नियमित महिला कर्मचारी ही मातृत्व हितलाभ के पात्र होंगे आकस्मिक अथवा दैनिक वेतन पर मास्टर रोल में लगे महिला कर्मचारी नहीं होंगे,यह भी स्पष्ट नहीं है।
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