भोपाल। मध्यप्रदेश में शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार के मामलों में FIR दर्ज करने के लिए पुलिस को प्रतिबंधित कर दिया गया है। यहां तक की भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज हुई FIR की इन्वेस्टिगेशन के दौरान जरूरी होने पर भी पुलिस किसी शासकीय कर्मचारी या अधिकारी से पूछताछ नहीं कर सकती। इसके लिए पुलिस को एक लंबी कागजी कार्रवाई करनी होगी, मंत्रालय में बैठे डिपार्टमेंट के मुख्य अधिकारी ने यदि परमिशन दे दी है तो पुलिस आगे की कार्रवाई कर पाएगी अन्यथा नहीं।
मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश क्रमांक एफ 15-01/2014/1-10 , भोपाल, दिनांक 26/12/2020 के अनुसार भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 में धारा 17-ए जोड़े जाने के फलस्वरूप पुलिस अधिकारी द्वारा लोक सेवकों (शासकीय अधिकारी एवं कर्मचारी) के विरुद्ध जांच या पूछताछ या अन्वेषण करने हेतु पूर्वानुमति जारी करने की प्रक्रिया की प्रतीक्षा करनी होगी।
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 संशोधित, धारा 17-ए जोड़ी गई
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 17-ए के अनुसार किसी लोक सेवक के द्वारा शासकीय कृत्य या कर्तव्यों के निर्वहन में की गई सिफारिशों या किए गए विनिश्चय के संबंध में अपराधों की जांच या पूछताछ या अन्वेषण किसी पुलिस अधिकारी द्वारा बिना राज्य शासन की पूर्वानुमति के नहीं किया जा सकता। ऐसी पूर्वानुमति प्राप्त करने के लिए निम्नानुसार प्रक्रिया निर्धारित की जाती है:
राज्य शासन की धारा 17-ए के अंतर्गत पूर्वानुमति प्राप्त करने के लिए अन्वेषण एजेंसी का प्रमुख ऐसे शासकीय कृत्य या कर्तव्यों के निर्वहन में की गई सिफारिशों या किए गए विनिश्चय जिसके संबंध में कथित अपराध की जांच या पूछताछ या अन्वेषण करने के लिए समस्त वांछित अभिलेख सहित अपना प्रतिवेदन संबंधित प्रशासकीय विभाग को प्रेषित करेगा।
प्रशासकीय विभाग परीक्षण कर प्रकरण में अपने स्पष्ट अभिमत सहित समन्वय में प्रस्तुत करेगा। तदानुसार प्राप्त आदेश के अनुसार अन्वेषण एजेंसी को पूर्वानुमति मान्य अथवा अमान्य करने की संसूचना दी जावेगी।
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