सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान यौनकर्मियों को सूखा राशन मुहैया कराने के लिये उनकी पहचान में विलंब को लेकर बुधवार को उप्र सरकार को आड़े हाथ लिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें अब आगे विलंब नहीं होना चाहिए क्योंकि यह जीवन का सवाल है।
शीर्ष अदालत ने 29 सितंबर को सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि उसके 29 सितंबर के निर्देशों पर अमल किया जाये और यह सुनिश्चित किया जाये कि नाको और विधिक सेवा प्राधिकारियों द्वारा चिन्हित सभी यौनकर्मियों को सूखा राशन उपलब्ध कराया जाये। शीर्ष अदालत ने उप्र सरकार के वकील से कहा कि कल्याणकारी राज्य होने की वजह से इस तरह का विलंब बर्दाश्त नहीं है। पीठ एक गैर सरकारी संगठन की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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