अबरार अहमद खान/मुकीज़ खान, भोपाल/ नई दिल्ली, NIT:

अब हिंसा प्रभावित प्रकरणों में महिला के नाम पहचान अभिलेखों की गोपनीयता बनाए रखना अनिवार्य होगा। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित किया गया है कि पोस्को अधिनियम के अंतर्गत लैंगिक हिंसा से उत्तरजीवी महिला/बालिका तथा अन्य हिंसा प्रभावित के नाम या उनसे संबंधित कोई अन्य तथ्य जिससे महिला की पहचान उजागर होना संभावित हो, को प्रिंट/ इलेक्ट्रानिक या सोशल मीडिया या अन्य माध्यम से प्रकाशित नहीं किया जा सकेगा।
निर्णय के मद्देनजर अब वन स्टॉप सेंटर के परिसर में किसी भी उत्तरजीवी पीड़ित की तस्वीर अथवा वीडियोग्राफी प्रतिबंधित होगी। महिला को व्यक्तिगत जानकारी या उसके निवास की जानकारी मीडिया को नहीं दिया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त किसी भी इलेक्ट्रानिक/प्रिंट मीडिया के साथ बातचीत की अनुमति सक्षम स्वीकृति के बाद ही दी जायेगी।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा यह भी निर्णय लिया गया है कि आईपीसी की धारा 376, 376A, 376AB, 376B, 376C, 376D, 376DA, 376DB और 376 E के अंतर्गत की गई एफआईआर के अपराधों की जानकारी पब्लिक डोमेन पर नहीं डाली जाएगी।
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