भोपाल। राज्यपाल लालजी टंडन ने सरल शब्दों में स्पष्ट कर दिया है कि अब विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को धारा 52 की धमकी नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि गड़बड़ी और अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं होगी। 'समय पर रिजल्ट, रिक्त पदों पर भर्ती और शैक्षणिक कैलेंडर का पालन सुनिश्चित करना होगा, अन्यथा यहां कोई रबर स्टैंप नहीं है।" उन्होंने रोजमर्रा के काम में मेरी कोई रुचि नहीं, लेकिन असाधारण स्थिति अथवा संविधान का उल्लंघन होने पर अंतिम अस्त्र और वीटो अधिकार मेरे पास है।
राजभवन में नई दुनिया के वरिष्ठ पत्रकार श्री राजीव सोनी से विशेष बातचीत के दौरान राज्यपाल टंडन ने कहा कि लोकतंत्र में सरकारें बदलती रहती है, पर समग्र विकास पर फोकस होना चाहिए। उन्होंने उच्च शिक्षा, नई शिक्षा नीति, गौ-आधारित जीरो बजट खेती और विकास पर बेबाकी से अपने विचार रखे। बिहार में हुए सुधार का ब्योरा भी दिया।
मप्र सरकार के परफार्मेंस जैसे सवाल को उन्होंने 'नो कमेंट" कहकर खारिज कर दिया लेकिन राजभवन और सरकार के कामकाज की सीमा रेखा भी रेखांकित कर दी। कहा-सरकार की जवाबदेही जनता के प्रति है। राज्यपाल का पद स्वीकार करने के बाद मेरे लिए सभी दल बराबर हैं। रोजमर्रा के काम और कौन सा दरोगा कहां रहे इसमें मेरी कोई रुचि नहीं। असाधारण परिस्थितियां, हद हो गई हो अथवा संविधान का उल्लंघन हो रहा हो तो अंतिम अस्त्र और वीटो पॉवर मेरे पास है।
पूरी व्यवस्था को सजा देना ठीक नहीं
प्रदेश में विश्वविद्यालयों की मौजूदा स्थिति, धारा 52 एवं अनुच्छेद 370 के अलावा राजभवन और प्रदेश सरकार की जवाबदेही से जुड़े सवालों पर भी दृढ़ता के साथ उन्होंने अपनी राय दी। कहा कि डे-टू-डे की राजनीति से मुझे मतलब नहीं लेकिन विश्वविद्यालय में धारा 52 उसे वर्षों पीछे ढकेल देने का काम करती है।
आखिर अकादमिक व्यवस्था ब्यूरोक्रेट्स कैसे चलाएंगे? यह भी बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ और विभागीय मंत्री ने भी वादा किया है कि किसी भी विवि में इस धारा का प्रयोग नहीं करेंगे। गड़बड़ी और भ्रष्टाचार जैसे मामलों में शिक्षाविदों की कमेटी जांच करे और दोषी पाने पर संबंधित कुलपति को फांसी पर चढ़ा दें लेकिन पूरी व्यवस्था को सजा देना ठीक नहीं।
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