इन नौ कन्याओं को माना जाता है नवदुर्गा का साक्षात रुप


मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नवरात्रि का महत्व बहुत विस्तार से बताया गया है। वहीं देवी भागवत के अनुसार नवकन्याओं को नवदुर्गा का प्रत्यक्ष रुप बताया है। कन्याओं की पूजा करने से मां दुर्गा की पूजा का फल प्राप्त होता है। क्योंकि कहा जाता है की धरती पर कन्याएं मां का प्रत्यक्ष रुप हैं। कन्या पूजन के लिये 2 से 10 सालों तक की कन्याओं का चुनाव करना चाहिए। क्योंकि इससे ज्यादा उम्र की कन्याएं कुमारिका नहीं कहलाती हैं।



  • 2 या 3 साल की कन्याएं ‘त्रिमूर्ति’ कहलाती हैं। इनका पूजन करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
  • 4 साल की कन्याएं ‘कल्याणी’ कहलाती हैं। इनका पूजन करने से विवाह आदि के मंगल कार्य संपन्न हो जाते हैं।
  • 5 साल तक की कन्याएं ’रोहिणी’ कही जाती हैं। इनकी पूजा करने से स्वास्थ्य में लाभ होता है।
  • 6 साल तक की कन्या को ‘कालिका’ का रुप माना जाता है। इनके पूजन से शत्रुओं का नाश होता है।
  • 8 साल तक की कन्या ‘शांभवी’ का रुप होती है। इनका पूजन करने से व्यक्ति के दुःख-दरिद्रता का नाश होता है।
  • 9 साल की कन्या ‘दुर्गा’ पूजन से असाध्य रोगों का शमन और कठिन कार्य सिद्ध होते हैं।
  • 10 साल की कन्या को ‘सुभद्रा’ कहा जाता है। इनका पूजन करने से मोक्ष प्राप्त होता है।


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