भोपाल। नौकरशाहों के साथ सीएम कमलनाथ का व्यवहार अध्ययन का विषय है। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को पद से हटाना और फिर महत्वपूर्ण पदों पर काबिज करने के पीछे कोई एक फार्मूला नजर नहीं आता। राजेश कुमार मिश्रा आईएएस को उन्होंने पूरे 1 साल तक लूप लाइन में रखा और रिटायर होने के बाद ऐसी कुर्सी थमा दी कि उंगलियां उठने लगीं (ठिए का ठाकुर बना दिया)।
आईएएस राजेश कुमार मिश्रा को रिटायरमेंट के बाद कमलनाथ सरकार में बड़ी जिम्मेदारी दे दी गई है। उन्हें आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी का डॉयरेक्टर बनाया गया है। इस पद पर पहली बार किसी रिटायर्ड आईएएस अफसर को डॉयरेक्टर बनाया गया हैै, जबकि पहले लोक कला एवं विधा विशेषज्ञ या डिप्टी डॉयरेक्टर पदों पर रहने वाले अफसर जिम्मेदारी संभालते आए हैं। कहा जाता है कि राजेश मिश्रा आरएसएस और भाजपा की विचारधारा से प्रभावित रहे हैं। शिवराज सिंह सरकार में भी सुर्खियों में रहे थे।
संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव पंकज राग ने 6 अगस्त को आदेश जारी किए है। 1998 बैच के आईएएस मिश्रा 31 जुलाई को ही रिटायर हुए थे। वे भाजपा सरकार में संस्कृति विभाग के सचिव और स्वराज संस्थान के डॉयरेक्टर के महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ रहे हैं। उन्हें 16 अगस्त 2017 को इन अहम पदों से मुख्यमंत्री के निर्देश पर अचानक हटा दिया गया था। मंत्रालय में बतौर ओएसडी बनाकर कोई विभाग नहीं दिया गया था। संस्कृति विभाग में अब रिटायरमेंट के बाद मिश्रा की वापसी हुई है।
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