भोपाल। महिला बाल विकास विभाग के संविदा ईसीसीई समन्वयकों को बड़ी ही चतुराई के साथ परेशान किया जा रहा है। पहले महिला बाल विकास की ओर से एक जाल में फंसाया गया और अब वित्त विभाग प्रताड़ित कर रहा है। यह सबकुछ तब हो रहा है जब सरकार को सेवावृद्धि से कोई आपत्ति नहीं है और वित्तविभाग ने भी आपत्ति नहीं उठाई है।
महिला बाल विकास विभाग में पदस्थ संविदा ईसीसीई समन्वयकों की भाजपा सरकार द्वारा सेवा समाप्त की गई थी। तब से ये समन्वयक उच्च न्यायालय के आदेश से वर्तमान में कार्यरत थे। महिला बाल विकास द्वारा दिनांक 28.2.19 के आर्डर में लेख किया कि जो समन्वयक 28.2.19 को कार्यरत हैं उनको 6 महीने निरंतर रखा जाए। महिला बाल विकास ने संविदा सेवा वृद्धि के आदेश में एक साजिश कर डाली। आदेश में लिखा जाना था कि 'जो समन्वयक 28.2.19 तक कार्यरत हैं' जबकि आदेश में लिख दिया गया 'जो समन्वयक 28.2.19 को कार्यरत हैं'। इस तरह विभाग ने केवल एक निर्धारित तारीख को कार्यरत कर्मचारियों की सेवा वृद्धि आदेश दिया जबकि यह एक निर्धारित अवधि के लिए होना चाहिए था। नतीजा यह हुआ कि कुल 310 में से करीब 150 ही नियमित हो पाए क्योंकि शेष का अनुबंध 28 फरवरी से 1 दिन या एक सप्ताह पहले ही समाप्त हो गया था।
मजेदार बात यह है कि यह सबकुछ तब हो रहा है जब सीएम कमलनाथ एवं महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी कर्मचारियों को नियमित बनाए रखने का आदेश दे चुके हैं। नोटशीट भी सभी 310 कर्मचारियों को नियमित करने की बनाई गई थी। वित्त विभाग के पास फाइल मौजूद है, उन्हे बस आदेश का पालन करना है परंतु फाइल को जानबूझकर अटकाया गया है। सवाल यह है कि क्या घूस के लिए अटका रखी है ECCE Cordinator की सेवावृद्धि वाली फाइल।
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