
यदि किसी संविदा कर्मी की दुर्घटना अथवा किसी अन्य कारण से मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को अनुकंपा नियुक्ति एवं अन्य सहायता का कोई संतोषप्रद प्रावधान नहीं हैै। सीएम साहब ने परियोजनाओं में कार्यरत संविदा कर्मी व अन्य संविदा कर्मीयों की सेवा समाप्त न करने व उनको 20% रिजर्वेशन स्थायी पदों पर देने के आदेश किए थे। उसके बाद भी अभी तक म.प्र राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में दो बर्ष से कार्यरत संविदा जिला सलाहकारों की संविदा अवधि नहीं बढ़ाई गई व कई माह से उनको वेेेेतन नहीं मिला है।
मप्र में यह कैसी व्यवस्था बन रही है कि यहां कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित नहीं है जो लगातार जनकल्याण में लगे हुए है जनकल्याण की योजनाओं का क्रियान्वयन भी स्थायी कर्मचारियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर निष्ठापूर्ण ढंग से कर रहे है। जबकि आपदा एक संवेदनशील विषय है इंदौर में एक इमारत के गिरने के बाद प्रशिक्षित स्टाफ के अभाव में नगरनिगम द्धारा क्रेन से सीधे मलवा हटाने से मलबे में दबे लोगो को क्षति हुई थी अत: कम से कम म.प्र शासन को आपदा प्रबंंधन प्राधिकरण जैसे महत्वपूर्ण विभाग में तो पर्याप्त स्टाफ रखना चाहिए ताकि आपदा के समय प्रशिक्षित लोग राहत कार्य उनके मार्गदर्शन में करा सकें ताकि मानवीय क्षति न हो अत: शासन को प्रतिभा का पलायन रोकते हुए प्रशिक्षित जिला सलाहकारों का का कान्ट्रेक्ट बढ़ा देना चाहिए व आपदा जैसे विषय की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इन सलाहकारों को स्थायी करने की प्रक्रिया प्रारंंभ करनी चाहिए ताकि आपदा से होने वाली क्षति को प्रशिक्षित कर्मचारियों के मार्गदर्शन में कम किया जा सके।
सादर धन्यवाद
आपका शुभेच्छु
आशीष कुमार
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