RELIANCE FOUNDATION की वेबसाइट पर JIO INSTITUTE की कोई जानकारी नहीं है

MUMBAI: जियो इंस्टीट्यूट अभी भले ही अस्तित्व में नहीं है, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से 'इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस' की लिस्ट जारी होने के बाद जियो इंस्टीट्यूट सुर्खियों में है. कहा जा रहा है कि संस्थान का प्लान तैयार है. संस्थान के 'आकर्षक' प्लान को देखकर ही सरकार ने इसे उत्कृष्ट संस्थानों की लिस्ट में शामिल कर दिया है, जिससे जब यह अस्तित्व में आएगा तो इसके पास किसी भी दूसरे संस्थान के मुकाबले अधिक ऑटोनॉमी होगी..

JIO INSTITUTE के बारे में जानकारी   

जियो इंस्टीट्यूट रिलायंस फाउंडेशन का एक संस्थान है और फाउंडेशन ने इसका प्लान तैयार कर लिया है. माना जा रहा है कि यह संस्थान अगले तीन साल में शुरू हो सकता है और अगर ऐसा नहीं हुआ तो इससे यह दर्जा वापस लिया जा सकता है. 'द हिंदू' की रिपोर्ट के अनुसार पूर्व चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी का कहना है कि ग्रीनफील्ड कैटेगरी के संस्थान लेटर जारी करेंगे और तीन साल के भीतर ही अकेडिमक ऑपरेशन की घोषणा उनको करनी होगी. गौरतलब है कि जियो इंस्टीट्यूट को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के तहत ही चुना गया है.

उन्होंने ये भी कहा कि संस्थान ऐसा करने में फेल होता है तो कमेटी आईओई स्टेट्स कैंसल करने की सिफारिश कर सकती है. हालांकि अभी तक जियो इंस्टीट्यूट का कैंपस तक तैयार नहीं हुआ है और इसके लिए कैंपस के स्थान को लेकर भी कोई जानकारी नहीं है. इंस्टीट्यूट की वेबसाइट या ट्विटर अकाउंट ना होने से सोशल मीडिया पर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं.

यहां तक कि रिलायंस फाउंडेशन की वेबसाइट पर भी इंस्टीट्यूट की कोई जानकारी नहीं है. वेबसाइट पर इतना लिखा हुआ है कि फाउंडेशन एक वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी की प्लानिंग कर रहा है. हालांकि इस यूनिवर्सिटी को लेकर कोई अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है.

सरकार का तर्क  

सरकार ने अपने इस फैसले का बचाव किया है और मंत्रालय समेत यूजीसी ने भी इस पर स्पष्टीकरण जारी किया है. मंत्रालय के अनुसार इस संस्थान को ग्रीनफील्ड कैटेगरी के अधीन शामिल किया गया है. यह एक ऐसी कैटेगरी होती है, जिसमें उन संस्थानों को शामिल किया जाता है, जो अभी अस्तित्व में नहीं है और जल्द ही बनने जा रहे हैं.

मंत्रालय ने आगे कहा है कि ईईसी (एमपॉवर्ड एक्सपर्ट कमेटी) ने यूजीसी रेगुलेशन 2017 (क्लॉज 6.1) के आधार पर 11 प्रपोजल प्राप्त किए थे, लेकिन जियो इंस्टीट्यूट मानकों पर खरा उतरा है. बता दें कि यह प्रावधान आगामी शिक्षण संस्थानों के लिए है. मंत्रालय के अनुसार चार मानक तय किए गए थे.

इंस्टीट्यूट बनाने के लिए जमीन उपलब्ध हो. शीर्ष योग्यता और व्यापक अनुभव वाली टीम हो. इंस्टीट्यूट स्थापित करने के लिए फंड की व्यवस्था हो. मील का पत्थर साबित करने के लिए एक रणनीतिक प्लान हो.



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