
शेड्यूल बिगड़ा तो बढ़ जाता है बिल -
बिजली कंपनी ने मीटर रीडिंग और बिल वितरण का काम निजी कंपनी को दिया है। कंपनी अपने कर्मियों से रीडिंग करवाती है। हर माह की 10 तारीख से रीडिंग लेना शुरू होता है। अगले माह की 11 तारीख तक काम जारी रहता है। हर क्षेत्र का अलग शेड्यूल तय है। जहां हर माह उसी वक्त रीडिंग होती है। इससे ये 28 से 30 दिन की खपत पर बिल जारी होता है। जून में ठेका कंपनी के कर्मियों को वेतन नहीं मिला, इस वजह से उनकी हड़ताल हुई। काम कुछ दिन बंद रहा। हर दिन कंपनी को औसत करीब 7-8 हजार रीडिंग करनी होती है, जो नहीं हुई। बाद में कर्मी वापस काम पर लौटे और रीडिंग शुरू हुई। इसमें 5-10 दिन का वक्त अतिरिक्त लगा।
20 फीसदी तक एक्स्ट्रा बिल -
अधीक्षण यंत्री स्तर के एक अधिकारी ने नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया कि शहर में करीब एक तिहाई उपभोक्ताओं को अधिक दिनों की रीडिंग वाला बिल मिला है। इससे हर उपभोक्ता के घर औसत करीब 12 से 20 फीसदी एक्स्ट्रा बिलिंग हुई है। रीडिंग जैसे-जैसे बढ़ती है बिजली दाम भी बढ़ते हैं। 300 से ज्यादा रीडिंग वाले उपभोक्ताओं को एक सामान दर पर बिल जारी होता है, लेकिन इससे कम मासिक खपत वाले उपभोक्ताओं के घर का बिल एक दिन भी अधिक होगा तो बिजली के दाम और फिक्स जार्च अतिरिक्त देना पड़ता है।
शिकायत करो तभी एक्शन -
बिजली बिल की रीडिंग अधिक होने से उपभोक्ता नाराज हैं। शिकायतें भी रीडिंग को लेकर है। उपभोक्ता दफ्तर में सीधे रीडिंग अधिक दर्ज होने की शिकायत करते हैं। विभागीय कर्मी शिकायत पर रीडिंग बुक और मीटर चेक करवाते हैं। गड़बड़ी मिलने पर बिल सुधार होता है।
ये करें उपभोक्ता -
बिल की रीडिंग अगर तय तारीख में न हो तो खुद ही रीडिंग देखकर उसे बिजली अफसरों को बता दें। तय अवधि की रीडिंग के अनुसार बिल का भुगतान करें। रीडिंग बढ़ने से बिजली टैरिफ के अलावा फिक्स जार्च भी बढ़ जाता है। इसलिए रीडिंग महीने भर की बिल में दर्ज करवाएं। रीडिंग चेक करवाते समय रीडर से पावती जरूर लें, ताकि बिल में रीडिंग गड़बड़ हो तो प्रमाण दिखा सकें। बिजली रीडिंग में कोई गड़बड़ी नहीं है। कुछ बिलों में देरी होगी, लेकिन ज्यादातर सहीं मिल रहे हैं। फिर भी किसी को शंका हो तो शिकायत कर सकते हैं।
इंजी. आईके त्रिपाठी, एसई सिटी, सर्किल
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