कवरेज इण्डिया न्यूज डेस्क।
भागलपुर :केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेेता अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत की मुश्किलें बढ़ गई है। चौबे समेत 9 आरोपितों के अग्रिम जमानत पर भागलपुर में एडीजे फोर कुमुद रंजन सिंह की कोर्ट में सुनवाई हुई। बचाव और सरकार की ओर से करीब घंटे भर तक जमानत की बिंदु पर बहस हुई। कोर्ट ने अर्जित शाश्वत चौबे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। बांकी आरोपितों के जमानत के लिए अलग से तारीख के बाद सुनवाई होगी।
गौरतलब है अर्जित पर 17 मार्च को बिना अनुमति भारतीय नववर्ष का जुलूस निकालने समेत अन्य आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में अर्जित शाश्वत चौबे, अभय कुमार घोष, प्रमोद वर्मा पम्मी, देव कुमार पांडेय, सुरेंद्र पाठक, अनुप लाल साह, संजय भट्ट, प्रणव साह उर्फ प्रणव दास के खिलाफ न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारंट निर्गत किया गया था।
बता दें कि अर्जित चौबे की गिरफ्तारी को लेकर बिहार की सियासत काफी गर्म हो गई है। एक ओर जहां विपक्ष सरकार पर जानबूझ कर गिरफ्तार न करने का आरोप लगा रही है, वहीं भाजपा अर्जित का बचाव कर रही है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना था कि अर्जित ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उसने एक हिंदू होने और भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते रैली निकाली। उसे जो करना चाहिए था उसने किया।
वहीं, अश्विनी चौबे बेटे के बचाव में उतर आए। एफआईआर को लेकर यहां तक कह दिया कि एफआईआर कूड़े का ढेर है। मेरे बेटे ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उसे फंसाने की साजिश रची जा रही है। सबसे विकट परिस्थति जदयू के सामने है।
जदयू नेता केसी त्यागी ने इस बाबत कहा है कि मुजरिम कोई भी हो, बच नहीं सकता। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत के पोलिटिकल कैरियर के लिए अच्छा है कि वो सरेंडर कर दे। कानून से ऊपर कोई नहीं है, जो मुजरिम है वो मुजरिम है, वो किसी का बेटा या बाप नहीं होता। कानून की नजर में सभी बराबर हैं।
मालूम हो किभागलपुर में हुई हिंसा में दर्जनों लोगों के साथ दो पुलिसकर्मी भी जख्मी हो गये थे। इस मामले में दो प्राथमिकी में से एक में अर्जित शाश्वत सहित अन्य को नामजद आरोपी बनाये जाने के बाद वहां की एक अदालत ने अर्जित शाश्वत और 9 अन्य लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। हिंदू नए साल की शुरुआत होने पर निकाले गये एक जुलूस में लाउडस्पीकर तेज बजाने का एक समुदाय द्वारा विरोध किये जाने पर हिंसा भड़क उठी थी। इस जुलूस का नेतृत्व अर्जित शाश्वत कर रहे थे। अर्जित पर आरोप था कि उन्होंने जुलूस निकालने के लिए प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई थी।
भागलपुर :केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेेता अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत की मुश्किलें बढ़ गई है। चौबे समेत 9 आरोपितों के अग्रिम जमानत पर भागलपुर में एडीजे फोर कुमुद रंजन सिंह की कोर्ट में सुनवाई हुई। बचाव और सरकार की ओर से करीब घंटे भर तक जमानत की बिंदु पर बहस हुई। कोर्ट ने अर्जित शाश्वत चौबे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है। बांकी आरोपितों के जमानत के लिए अलग से तारीख के बाद सुनवाई होगी।
गौरतलब है अर्जित पर 17 मार्च को बिना अनुमति भारतीय नववर्ष का जुलूस निकालने समेत अन्य आरोप लगाए गए हैं। इस मामले में अर्जित शाश्वत चौबे, अभय कुमार घोष, प्रमोद वर्मा पम्मी, देव कुमार पांडेय, सुरेंद्र पाठक, अनुप लाल साह, संजय भट्ट, प्रणव साह उर्फ प्रणव दास के खिलाफ न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी वारंट निर्गत किया गया था।
बता दें कि अर्जित चौबे की गिरफ्तारी को लेकर बिहार की सियासत काफी गर्म हो गई है। एक ओर जहां विपक्ष सरकार पर जानबूझ कर गिरफ्तार न करने का आरोप लगा रही है, वहीं भाजपा अर्जित का बचाव कर रही है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना था कि अर्जित ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उसने एक हिंदू होने और भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते रैली निकाली। उसे जो करना चाहिए था उसने किया।
वहीं, अश्विनी चौबे बेटे के बचाव में उतर आए। एफआईआर को लेकर यहां तक कह दिया कि एफआईआर कूड़े का ढेर है। मेरे बेटे ने कुछ भी गलत नहीं किया है। उसे फंसाने की साजिश रची जा रही है। सबसे विकट परिस्थति जदयू के सामने है।
जदयू नेता केसी त्यागी ने इस बाबत कहा है कि मुजरिम कोई भी हो, बच नहीं सकता। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत के पोलिटिकल कैरियर के लिए अच्छा है कि वो सरेंडर कर दे। कानून से ऊपर कोई नहीं है, जो मुजरिम है वो मुजरिम है, वो किसी का बेटा या बाप नहीं होता। कानून की नजर में सभी बराबर हैं।
मालूम हो किभागलपुर में हुई हिंसा में दर्जनों लोगों के साथ दो पुलिसकर्मी भी जख्मी हो गये थे। इस मामले में दो प्राथमिकी में से एक में अर्जित शाश्वत सहित अन्य को नामजद आरोपी बनाये जाने के बाद वहां की एक अदालत ने अर्जित शाश्वत और 9 अन्य लोगों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। हिंदू नए साल की शुरुआत होने पर निकाले गये एक जुलूस में लाउडस्पीकर तेज बजाने का एक समुदाय द्वारा विरोध किये जाने पर हिंसा भड़क उठी थी। इस जुलूस का नेतृत्व अर्जित शाश्वत कर रहे थे। अर्जित पर आरोप था कि उन्होंने जुलूस निकालने के लिए प्रशासन से अनुमति नहीं ली गई थी।
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