नरेंद्र इंगले, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

16 दिसंबर को कर्नाटक के बंगलुरू में छत्रपति शिवाजी महाराज के शिल्प पर स्याही फेंकी गई जिसके बाद महाराष्ट्र में असंतोष की लहर आ गई. सत्तारूढ़ उद्धव ठाकरे सरकार में शामिल शिवसेना और NCP ने समूचे महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज के शिल्प की हुई इस अवमानना को लेकर सड़को पर उतरकर बीजेपी को आड़े हाथो लिया. जामनेर NCP की ओर से निगम तिराहे पर शिवाजी महाराज के पुतले को दूध से नहलाकर अभिषेक किया गया जहाँ कार्यकर्ताओं ने कर्नाटक सरकार का धिक्कार किया. इस आंदोलन में विलास राजपूत, पप्पू पाटील, नरेन्द्र जंजाल समेत तमाम कार्यकर्ता मौजूद रहे. विदित हो कि 13 दिसंबर को कर्नाटक में आयोजित महाराष्ट्र एकीकरण समिती सम्मेलन में शामिल पदाधिकारियों पर कर्नाटक नवनिर्माण वेदिके के समर्थकों ने स्याही फेंकी जिसके बाद 16 दिसंबर को बंगलुरू स्थित छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले पर स्याही फेंकी गई. इसी बीच बेलगांव में संगोई रायन्ना के पुतले की विडंबना की गई थी. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शिवाजी महाराज के शिल्प की अवमानना को छोटी घटना बताकर आग में घी डालने का काम किया. कुछ दिनों पहले बीजेपी के प्रांत अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा था “टिकट पार्टी का है वोट बैंक पार्टी की है, यह वोट बैंक संतों महंतों से लेकर शिवाजी महाराज तक फैला है. उन्होंने हिंदुत्व के इस वोट बैंक को विकसित किया था. पाटिल के इस बयान को तमाम इतिहासकारों ने यह कहकर सिरे से खारिज कर दिया कि शिवाजी महाराज केवल हिंदुओं के राजा नहीं थे बल्की वे एक धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति थे जिन्होंने समाज के सभी धर्मियों की फौज बनाकर विदेशी आक्रमणकारियों से लोहा लिया और अपना हिंदवी स्वराज्य निर्माण किया. कर्नाटक में शिवाजी महाराज के पुतले की बेअदबी पर बीजेपी के तमाम बड़े नेता बैक फुट पर आ चुके हैं. शिवसेना ने बीजेपी के खिलाफ संघर्ष तेज कर दिया है.
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