नदी के किनारों पर बसे गांवों की सुरक्षा दीवारें फेल, 18 गांवों में बाढ़ का संकट

नरेंद्र इंगले, जामनेर/जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

मौसम विभाग ने उत्तर महाराष्ट्र मे पांच दिन तक मूसलाधार बारिश की चेतावनी देने के बाद पहले ही दिन जलगांव जिले के जामनेर तहसील के ओझर, हिंगने, तलेगांव, शेलगांव, समारोद, टाकली, नागनचौकी, तोंडापुर, मोयगांव, भागदरा, आमखेड़ा, फत्तेपुर, वाड़ीकिला समेत अन्य गांवों मे मूसलाधार बारिश ने काफी नुकसान किया है. कांग नदी में आई बाढ़ के कारण इलाके का संपर्क टूट चुका था जो बाद में स्थापित हुआ.

ओझर में जो टिन से बने घर हैं उनके ऊपर के टिन कागज की तरह हवा में उड़ गए और गरीबों को सड़क पर आना पड़ा. ग्रामीणों ने बताया कि सुबह जब बारिश शुरू हुई उसके बाद केवल 3 से 4 मिनट तक के लिए इतना भयानक चक्रावाती तूफान आया की देखते ही देखते घरों के ऊपर के टिन 100 मीटर तक कागज की तरह हवा में उड़ते हुए हमने देखे. जैसे ही तूफान थमा तो किसी के भी घर पर की छत बची नहीं थी. इस दौरान 2/3 लोग घायल हो गए. पूरी बिजली व्यवस्था चरमरा गई है.

तूफान के कारण गांव के आसपास के खेतों में खड़ी फसलों का बहुत नुकसान हुआ है जिसमें केला बागीचे और मकई की फसल चौपट हो चुकी है. प्रशासन अपनी ओर से पंचनामे करने मे जुटा है. बाढ़ और नुकसान का मुआयना करने के लिए भाजपा और NCP के ब्लॉक स्तरीय नेताओं ने अपने नेताओं के आदेश से दौरों का आयोजन किया. अजंता पहाडियों पर बारिश का जोर बराबर था जिसके चलते वाघुर और कांग नदियां पूरी क्षमता से बह रही हैं. इन्हीं के संगम पर बने 12 TMC के वाघुर डैम में 85 फीसदी तक का जल भंडारण हो चुका है. तोंडापुर डैम ओवरफ्लो हो चुका है. अभिभावक मंत्री गुलाबराव पाटील ने कहा है कि 18 गांवों में 180 घर प्रभावित हुए हैं, पंचनामे किए जा रहे हैं, पीड़ितों को जल्द ही मदत की जाएगी. इन सब के बीच एक बात काफी दिलचस्प नजर आई कि नदी किनारे जितने भी गांवों को बाढ़ या उसके कटान से बचाने के लिए सरकारी खजाने से करोड़ों रुपया खर्च कर जो सुरक्षा दीवारें बनवाई गई थी उनका इस आपदा की रोकथाम के लिए कोई उपयोग नहीं हुआ, मतलब साफ है कि इन दीवारों के निर्माण में किए गए भ्रष्टाचार ने नेताओं के उन कार्यकर्ताओं की आर्थिक स्थिति को संरक्षित किया जो निर्माण क्षेत्र में ठेकेदार बने हैं.



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