भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मीडिया मैनेजमेंट का काम एक बार फिर डॉ नरोत्तम मिश्रा को सौंप दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी सरकारी कागज पर डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा को मध्यप्रदेश शासन का अधिकृत प्रवक्ता घोषित किया गया है। सरकारी कागज की जरूरत नहीं थी लेकिन इस बार सरकार बनने के बाद से सीएम शिवराज सिंह चौहान अपनी पटरी पर अपनी गाड़ी दौड़ा रहे थे परंतु COVID के कारण जब सवालों का अंबार खड़ा हुआ, मुख्यमंत्री बदलने की मांग उठने लगी और शिवराज सिंह के पसंदीदा अफसर हेडलाइन मैनेजमेंट नहीं कर पाए तो फाइनली डॉ मिश्रा याद आए।
पत्रकारों की मौत के बीच मिश्रा के मधुर संबंध कितने काम आएंगे
पिछले 28 दिनों में 52 लोकप्रिय पत्रकारों की मौत हो चुकी है जबकि ग्राउंड जीरो पर दौड़ लगाने वाले ऐसे पत्रकारों (जिन्हें सरकार पत्रकार नहीं मानती) की संख्या निश्चित रूप से इससे कई गुना ज्यादा है। यह सही है कि डॉ नरोत्तम मिश्रा राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकारों से अच्छे संबंध बना रखे हैं लेकिन क्या यह मधुर संबंध, अपनों की मौत का मातम कम कर पाएंगे।
मध्यप्रदेश में मीडिया नहीं मेडिकल मैनेजमेंट की जरूरत है
मध्य प्रदेश की पत्रकारिता दूसरे राज्यों की तरह सरकार को निगल जाने वाली नहीं है। मध्यप्रदेश में पत्रकार सिर्फ सरकार को सक्रिय बनाए रखने के लिए उसकी निंदा करते हैं। मध्यप्रदेश में दिल्ली जैसी सुपारी जर्नलिज्म भी नहीं होती। यहां के पत्रकारों में संवेदनाएं और इंसानियत जिंदा है। मध्यप्रदेश में मीडिया नहीं, मेडिकल मैनेजमेंट की जरूरत है।
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