अरशद आब्दी, ब्यूरो चीफ, झांसी (यूपी), NIT:

स्वतन्त्रता आन्दोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को नया आयाम देने वाले देश के प्रथम प्रधानमन्त्री पं० जवाहर लाल नेहरू का निधन 27 मई 1964 को हुआ। इस दिन स्वतन्त्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री के निधन पर दिल्ली की सड़कों पर जन सैलाब उमड़ा था। हार्ट अटैक से उनकी मौत पर देश में शोक की लहर दौड़ गई थी। वह बच्चों से भी बहुत निकट थे। बच्चे इन्हें प्यार से चाचा नेहरू बुलाते थे। इनके जन्मदिवस को बालदिवस के रूप में ही मनाया जाता है।
शिक्षक नेता नोमान बताते हैं कि नेहरू जी नें अपनी राजनैतिक पारी की शुरूआत स्वाधीनता आन्दोलन से की। गांधी जी से जुड़कर स्वतन्त्रता की अलख जगाने में वह अग्रणी रहे। वह कई बार जेल गए और कई बार अपने वकालत पेशे का प्रयोग स्वतन्त्रता सेनानियों के लिए किया। जिस समय आज़ादी के पश्चात उन्होंने देश की बागडोर सम्भाली। वह एक विषम परिस्थिति और अन्धकार में डूबा मार्ग था। उन्होंने ना केवल इस रास्ते में उजाला किया बल्कि विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इनकी लिखी हुई पुस्तकें आज भी रुचिकर हैं। उनके सन्देश और भाव लोगों के ह्रदयों में जीवित हैं।
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