हाथी यानी एलीफेंट तो सभी ने देखा है। शायद आपने नोटिस किया हो, हाथी अपने कान हिलाता रहता है। शायद ही ऐसा कोई एक मिनट होता हो जब हाथी अपने खान नहीं हिलाता। सवाल यह है कि हाथी ऐसा क्यों करता है।
कान हिलाकर हाथी अपने शरीर की गर्मी को हवा में छोड़ता है
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि कान हिलाकर हाथी अपने शरीर की गर्मी को हवा में छोड़ता है। हाथी के कान में विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं। इन्हीं कोशिकाओं के माध्यम से हाथी के शरीर की गर्मी बाहर निकलती है। यही कारण है कि अफ्रीका जैसे गर्म प्रदेश में हाथियों के कान बहुत बड़े होते हैं। जबकि ठंडे प्रदेशों में रहने वाले हाथियों के कान छोटे होते हैं।
भारतीय रेल में हाथी भी नौकरी करते थे - DO YOU KNOW
यह भी आपके लिए एक मजेदार जानकारी है कि अंग्रेजों के शासन काल में जब भारत में ट्रेन की शुरुआत हुई तब इंजन की जगह हाथी ट्रेन खींचते थे। इंजन लग जाने के बावजूद ट्रेन की बोगियों को धकेलने के लिए, पटरी से नीचे उतर गए डिब्बे को वापस पटरी पर लाने के लिए। मालगाड़ी में से माल को उठाने और प्लेटफार्म पर रखने के लिए भारतीय रेलवे में क्रेन की जगह हाथी का उपयोग किया जाता था। भारत में स्वतंत्रता के बाद 1963 तक हाथियों का उपयोग भारतीय रेल सेवाओं में किया जाता रहा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article
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