ग्वालियर। क्या आपने दुनिया में कहीं भी यमराज का मंदिर देखा या सुना है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में यमराज का मंदिर स्थित है। साल में 1 दिन नरक चतुर्दशी के दिन इस मंदिर में यमराज की पूजा की जाती है। भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं राज्यसभा के सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के पूर्वजों ने यमराज का मंदिर बनवाया था। सिंधिया राजवंश के लोग इस मंदिर में इसलिए पूजा करते थे ताकि मृत्यु के समय उन्हें कष्ट ना हो।
ग्वालियर में कहां स्थित है यमराज का मंदिर
ग्वालियर शहर के बीचों-बीच फूलबाग पर बने मार्कंडेश्वर मंदिर के अंदर ही यमराज की यह मंदिर बना है। यमराज के इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 300 साल पहले करवाई थी। यमराज का ये मंदिर देश में अकेला होने के कारण पूरे देश में श्रद्धा और आस्था का केंद्र माना जाता है। आज के दिन यहां देश भर से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर के पुजारी बताते है कि लोग इसलिए भी यमराज की पूजा-अर्चना करते है ताकि यमराज उन्हें अंतिम समय में कष्ट न दे।
यमराज की पूजा करने से क्या लाभ होता है
आज के दिन यमराज की पूजा का विशेष लाभ मिलता है। शाम के वक्त घर के द्वार पर, मंदिर, देववृक्ष और सरोवर के किनारे दीप जलाए जाते हैं। त्रयोदशी से 3 दिन तक दीप प्रज्ज्वलित करने से यमराज प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि ऐसा करने से अंतकाल में व्यक्ति को यम यातना का भय नहीं होता। दीपदान से यम की पूजा करने पर नरक का भय भी नहीं सताता। यही वजह है कि आज के दिन को नरक चौदस के रूप में मनाया जाता है।
यमराज की पूजा की पौराणिक कथा
यमराज की नरक चौदस पर पूजा अर्चना करने को लेकर पौराणिक कथा है। बताया जाता है कि यमराज ने भगवान शिव की तपस्या की थी। जिससे प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने यमराज को वरदान दिया था की आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर तुम्हारी पूजा की जाएगा। जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना और अभिषेक करेगा उसे जब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलेनी। तो उस इंसान की आत्मा को कम से कम यातनाएं सहनी होंगी। जिसके बाद से ही नरक चौदस के दिन यमराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
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