29 Aprl: अब एक ओर आफत-धरती की तरफ आ रही-वही केदारनाथ कपाट खुले पर दर्शन नही होगे

29 April 20: #  एक उल्‍कापिंड आज पृथ्‍वी के बेहद करीब से गुजरेगा. जिसकी गति 19000 किलोमीटर प्रति घंटा है # कोरोना वायरस के प्रकोप को पूरी दुनिया झेल रही है. ऐसे में कोरोना महामारी के संकट के बीच लोगों के मन में बार-बार ये सवाल आ रहा हैं कि क्‍या इस उल्का पिंड से धरती को कोई नुकसान होगा # वैज्ञानिकों को सिर्फ एक ही डर सता रहा है कि अगर यह उल्‍कापिंड अपना थोड़ा-सा भी स्‍थान परिवर्तन करता है, तो पृथ्‍वी पर बड़ा संकट आ सकता है.

इस साल केदारनाथ धाम के कपाट खुलने में खास बात यह है कि श्रद्धालु भगवान शंकर के दर्शन नहीं कर पाएंगे

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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के सेंटर फॉर नियर-अर्थ स्टडीज की मानें तो अनुसार, इसी बुधवार यानि 29 अप्रैल को सुबह 5:56 बजे उल्कापिंड के पृथ्वी के पास से होकर गुजरेगा. वैज्ञानिकों ने बताया है कि यह साइज में इतना बड़ा है कि पृथ्वी को आसानी से तबाह कर सकता है. इस उल्‍कापिंड का नाम 1998 OR2 है. वैज्ञानिकों को डर बस इस बात का सता रहा है कि इसके राह में हल्का सा भी परिवर्तन आया तो इसका प्रभाव पूरे विश्व को भुगतना पड़ सकता है. जिसके कारण भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक इस पर नजर बनाए हुए हैं.

इस साल केदारनाथ धाम के कपाट खुलने में खास बात यह है कि श्रद्धालु भगवान शंकर के दर्शन नहीं कर पाएंगे

वही दूसरी ओर केदारनाथ से प्राप्‍त समाचार के अनुसार-  केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Temple) के कपाट 29 April 20 बुधवार को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर खुल गए. इस मौके पर पुजारियों ने परंपरागत तरीके से मंत्रोच्चारण के साथ बाबा केदारनाथ की पूजा-आर्चना की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर पहली पूजा की गई और इसके साथ ही हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ के रूप में ख्यात केदारनाथ धाम के कपाट खोल दिए गए. इससे पहले भगवान शिव के इस विश्व प्रसिद्ध मंदिर को फूलों से सजाया गया. इस साल केदारनाथ धाम के कपाट खुलने में खास बात यह है कि श्रद्धालु भगवान शंकर के दर्शन नहीं कर पाएंगे. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से मंदिर के कपाट निर्धारित समय पर तो खोल दिए गए हैं, लेकिन अभी श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति नहीं है. मंदिर के मुख्य पुजारी सहित केवल 16 लोग ही यहां पर उपस्थित रह सकते हैं. 29 अप्रैल को आज केदारनाथ जी के कपाटो को खोला जा चुका है. वहीं इससे पहले परंपरागत रूप से बाबा केदार की डोली निकाली गई. कड़ाके की ठंड और हड्डी गला देने वाली बर्फ के बीच श्रद्धालु नंगे पांव ही बाबा केदार की डोली लेकर केदारनाथ धाम की ओर बढ़ चले. 29 अप्रैल बुधवार को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व सोमवार को बाबा केदार की डोली को लेकर बर्फ और कड़ाके की ठंड के बीच पूरे सम्मान के साथ भक्त केदरनाथ धाम की तरफ बढ़ते गए. आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य (Adi Shankaracharya) के द्वारा बनाए गए केदारनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए साल में 6 महीने ही खोले जाते हैं. मान्यता है कि डोली उठाने वाले भक्त नंगे पैर ही डोली को लेकर जाते हैं.

29 अप्रैल को एक उल्‍का पिंड यानी Astreroid के पृथ्‍वी के पास होकर गुजरने की खबरें जबर्दस्‍त चर्चाओं में हैं। यह विशालकाय एस्‍टेरॉयड सुबह साढ़े पांच बजे पृथ्‍वी के एक निश्चित फासले से गुजर जाएगा और कोई नुकसान नहीं होगा   एक उल्‍कापिंड आज पृथ्‍वी के बेहद करीब से गुजरेगा. जिसकी गति 19000 किलोमीटर प्रति घंटा है  हर सौ साल में उल्‍कापिंड के धरती से टकराने की 50 हजार संभावनाएं होती हैं. हालांकि, वैज्ञानिकों के अनुसार उल्‍कापिंड जैसे ही पृथ्‍वी के पास आता है तो जल जाता है. आज तक के इतिहास में बहुत कम मामला ऐसा है जब इतना बड़ा उल्‍कापिंड धरती से टकराया हो. धरती पर ये उल्‍कापिंड कई छोटे-छोटे टुकड़े में गिरते है. जिनसे किसी प्रकार का कोई नुकसान आज तक नहीं हुआ है. जैसा कि ज्ञात हो इसके बारे में वैज्ञानिकों ने करीब एक महीने पहले ही बताया था कि यह पृथ्वी के बेहद करीब से होकर गुजरेगा. ।

ऐसे में भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक इस उल्‍कापिंड की दिशा पर गहरी नजर बनाए हुए हैं. #जिस समय यह एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरेगा, उस समय भारत में दोपहर के 3.26 मिनट हो रहे होंगे. वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस समय यह पृथ्‍वी के निकट से गुजरेगा तब उसकी यहां से दूरी करीब 4 मिलियन किमी यानी 40 लाख किमी होगी। इस Asteroid की गति पृथ्‍वी के पास से गुजरते समय 20 हजार मील प्रति घंटा हो जाएगी।

गत 4 मार्च को USA अमेरिकी स्‍पेस रिसर्च एजेंसी नासा NASA (National Aeronautics and Space Administration) ने घोषणा की थी कि 29 अप्रैल को स्‍थानीय समय सुबह 5 बजकर 56 मिनट पर यह Asteroid एस्‍टेरायड पृथ्‍वी के पास से गुज़रेगा। यह भी कहा गया कि 1998 OR2 नाम का यह एस्‍टेरायड संभावित रूप से खतरनाक हो सकता है क्‍योंकि यह अपने आप में बहुत विशाल है। ऐसा एस्‍टेरायड पहले कभी नहीं देखा गया और शायद यह पृथ्‍वी के पास से गुज़रने वाला सबसे बड़ा Asteroid एस्‍टेरायड है।

सूरज की रोशनी के कारण आप इसे खुली आंखों से नहीं देख पाएंगे.  जब धरती के बगल से एक एस्टेरॉयड गुजरेगा. इस एस्टेरॉयड का नाम है 52768 (1998 OR 2). यह धरती से करीब 63 लाख किलोमीटर दूर से निकलेगा. नासा एस्‍टेरायड वॉच ने दोहराया कि हालांकि यह एस्‍टेरायड पृथ्वी पर एक संभावित खतरनाक प्रभाव पैदा कर सकता है, बावजूद बहुत संभावना है कि इसका पृथ्वी पर या पृथ्वी पर कोई सीधा प्रभाव पड़ेगा।

इसकी खोज 1998 में हुई थी और तभी से वैज्ञानिक इसका लगातार अध्ययन कर रहे हैं। यह सब जानकारी आखिर हमें मिली कैसे? कौन करता है अंतरिक्ष में इन उल्कापिंडों की जासूसी? आइए जानते हैं उस एंटीना और ऑब्जरवेटरी के बारे में जिसने इस एस्टेरॉयड की जानकारी हमें दी. इस एंटीना से जुड़ी बेहद रोचक जानकारियां आपको पता नहीं होंगी.   साल 2013 में लगभग 20 मीटर लंबा एक उल्कापिंड वायुमंडल में टकराया था. एक 40 मीटर लंबा उल्का पिंड 1908 में साइबेरिया के वायुमंडल में टकरा कर जल गया था

नासा के सेंटर फॉर नियर अर्थ स्‍टडीज का कहना है कि 29 अप्रैल, बुधवार को ईस्‍टर्न टाइम सुबह 5.56 पर यह एस्‍टेरॉयड पृथ्‍वी के निकट होकर गुज़र जाएगा। इसकी पृथ्‍वी से टकराने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है। वैज्ञानिकों और आम लोगों सभी के लिए यह आकर्षण का केंद्र है। यह बेहद तेज है और विशाल भी। करीब 1.2 मील चौड़ा यह पिंड अपने निर्धारित समय पर बिजली की गति से तेजी से नजदीक आता जा रहा है। इसकी रफ्तार 19 हजार किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी ताजा तस्‍वीर सामने आई है। मजे की बात यह है कि इसकी आकृति किसी मॉस्‍क लगाए चेहरे जैसी नज़र आ रही है। मॉस्‍क जैसी आकृति का कारण इस पर मौजूद पहाड़ी नुमा स्‍थान और खाली मैदानों की लकीरें हैं।

आज 29 अप्रैल, बुधवार को भारतीय समय के अनुसार दोपहर 3 बजकर 26 मिनट पर एक विशालकाय Asteroid (1998 OR2) उल्‍का पिंड पृथ्‍वी के करीब आने वाला है। अभी तक प्राप्‍त जानकारी के अनुसार यह पृथ्‍वी से लगभग 40 लाख मील के फासले से गुजर जाएगा और हम सुरक्षित बच जाएंगे। हालांकि NASA इसके मूवमेंट पर पूरी नज़र बनाए हुए है। यदि यह अपनी कक्षा से थोड़ा भी हिलता है तो यह मुसीबत पैदा कर सकता है। यह ईस्‍टर्न टाइम के अनुसार बुधवार सुबह 5 बजकर 56 मिनट पर और भारतीय समयानुसार दोपहर 3.30 बजे के आसपास पृथ्‍वी के निकट होकर गुज़रेगा। 

यही उल्‍का पिंड आज से 59 साल बाद यानी वर्ष 2079 में वापस सौर मंडल में आएगा। अरेबिको वेधशाला के स्‍पेशलिस्‍ट फ्लेवियन वेंडीटी का कहना है कि 2079 में यह खतरनाक साबित हो सकता है क्‍योंकि तब इसकी पृथ्‍वी से दूरी महज 3.5 गुना ही रह जाएगी। यानी अभी इसकी आर्बिट का निरीक्षण एवं अध्‍ययन जरूरी है क्‍योंकि भविष्‍य में यह कभी भी पृथ्‍वी के लिए बड़ा संकट बन सकता है।

जिस संस्थान ने एस्टेरॉयड 52768 (1998 OR 2) की जानकारी दी है. उसका नाम है आर्सीबो ऑब्जरवेटरी (Arecibo Observatory). ये प्यूर्टो रिको में स्थित है. इसका संचालन एना जी मेंडेज यूनिवर्सिटी, नेशनल साइंस फाउंडेशन और यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा मिलकर करते हैं.   इस ऑब्जरवेटरी में एक 1007 फीट तीन इंच व्यास का बड़ा गोलाकार एंटीना है. जो सुदूर अंतरिक्ष में होने वाली गतिविधियों को पकड़ता है. इसका मुख्य काम धरती की तरफ आ रही खगोलीय वस्तुओं के बारे में जानकारी देना है.

1007 फीट व्यास वाले एंटीना में 40 हजार एल्यूमिनियम के पैनल्स लगे हैं जो सिग्नल रिसीव करने में मदद करते हैं. इस एंटीना को आर्सीबो राडार कहते हैं. आर्सीबो ऑब्जरवेटरी को बनाने का आइडिया कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विलियम ई गॉर्डन को आया था इस ऑब्जरवेटरी को बनने में तीन साल लगे. इसका निर्माण कार्य 1960 में शुरू हुआ था. जो 1963 में पूरा हुआ. इस एंटीना के बीचो-बीच एक रिफलेक्टर है जो ब्रिज के जरिए लटका हुआ है. यहां ऐसे दो रिफलेक्टर्स है. पहला 365 फीट की ऊंचाई पर और दूसरा 265 फीट की ऊंचाई पर.

इस बड़े एस्‍टेरॉयड के अलावा पृथ्‍वी की तरफ एक कम आकार का अन्‍य एस्‍टेरॉयड भी आ रहा है। NASA Asteroid Watch ने रात बजे यह अपडेट देते हुए बताया है कि Tiny #asteroid 2020 HS7 आज से लगभग 23,000 मील / 36,400 किमी की दूरी पर है। यह ईस्‍टर्न टाइम दोपहर 3 बजे से ठीक पहले पृथ्वी को सुरक्षित रूप से पार करके आगे बढ़ जाएगा। 2020 HS7 से हमारे ग्रह के लिए कोई खतरा नहीं है, और इस आकार के छोटे क्षुद्रग्रह सुरक्षित रूप से प्रति माह कुछ समय पृथ्वी से गुजरते हैं। 2020 एचएस 7 (4-6 मीटर व्यास वाले) जैसे छोटे एस्‍टेरॉयड काफी छोटे हैं कि अगर वे पृथ्वी के साथ टकराते भी हैं तो पृथ्‍वी के वातावरण में ही नष्‍ट हो जाएंगे। भविष्य में संभावित खतरों से पृथ्वी की रक्षा के लिए हमारे #planetarydefense विशेषज्ञ लगातार आसमान की ओर देख रहे हैं।

सभी रिफलेक्टर्स को तीन ऊंचे और मजबूत कॉन्क्रीट से बने टावर से बांधा गया है. बांधने के लिए 3.25 इंच मोटे स्टील के तारों का उपयोग किया गया है. ऑर्सीबो राडार यानी एंटीना कुल 20 एकड़ क्षेत्रफल में फैला है. इसकी गहराई 167 फीट है. इसी बड़े एंटीना की मदद से आर्सीबो ऑब्जरवेटरी के वैज्ञानिकों ने यह बताया कि एस्टेरॉयड 29 अप्रैल को धरती से करीब 63 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा. अंतरिक्ष विज्ञान में यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती लेकिन कम भी नहीं है. 

जब यह धरती के पास होगा तब इसकी दूरी पृथ्‍वी व चांद की दूरी की 15 गुना दूरी के समान होगी। धरती से चांद की दूरी 3 लाख किमी है, यानी यह उल्‍का पिंड पृथ्‍वी से 30 लाख से भी अधिक किमी की दूरी से गुज़र जाएगा। यह अपने आप में बड़े आकार का है। 1998 में नासा ने इसका पता लगा लिया था, इसी के चलते इसका नाम 1998 OR2 रखा गया है।  यह लघुग्रह 1344 दिनों में सूर्य की एक बार परिक्रमा पूरी करता है। हालांकि यह सच है कि यह बेहद खतरनाक है। यदि यह वास्‍तव में पृथ्‍वी से टकरा जाता है तो बड़ी तबाही ला सकता है। गनीमत है कि ऐसा कुछ नहीं होने जा रहा है। इस ग्रह से अभी तो घबराने की फिलहाल कोई जरूरत नहीं है लेकिन आज से ठीक 59 साल बाद यानी वर्ष 2079 में यही लघु ग्रह के पृथ्‍वी के निकट आने की संभावना है। वैज्ञानिकों ने इसकी गणना की है। इसके अनुसार, यह 16 अप्रैल 2079 को हमारी धरती के पास से गुजरेगा। तब यह धरती से मात्र 18 किमी की दूरी से गुजरेगा। चूंकि यह दूरी अत्‍यंत कम है, ऐसे में इसके पृथ्‍वी से टकराने की गुंजाइश ना के बराबर है

इस ऑब्जरवेटरी में जेम्स बॉन्ड सीरीज की मशहूर फिल्म गोल्डन आई का क्लाइमैक्स सीन फिल्माया गया था. इस फिल्म में पियर्स ब्रॉसनन जेम्स बॉन्ड का किरदार निभा रहे थे. इसके अलावा इस ऑब्जरवेटरी में कई फिल्में, वेबसीरीज और डॉक्यूमेंट्रीज बन चुकी हैं. एस्टेरॉयड 52768 (1998 OR 2) का व्यास करीब 4 किलोमीटर का है. इसकी गति करीब 31,319 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यानी करीब 8.72 किलोमीटर प्रति सेंकड. ये एक सामान्य रॉकेट की गति से करीब तीन गुना ज्यादा है.

इसके बारे में अंतरिक्ष विज्ञानी डॉक्टर स्टीवन प्राव्दो ने बताया कि उल्का पिंड 52768 सूरज का एक चक्कर लगाने में 1,340 दिन या 3.7 वर्ष लेता है. इसके बाद एस्टरॉयड 52768 (1998 OR 2) का धरती की तरफ अगला चक्कर 18 मई 2031 के आसपास हो सकता है. तब यह 1.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकल सकता है. 

NASA के अनुसार जब यह पृथ्‍वी के पास से गुजरेगा तो यह बहुत पास होगा। लेकिन इस पास होने का क्‍या अर्थ है। खगोलीय भाषा में समझें तो यह पृथ्‍वी एवं चांद की दूरी का भी 16 गुना होगा। पृथ्‍वी और चांद के बीच की दूरी करीब 3 लाख मील है। यानी एस्‍टेरॉयड करीब 48 लाख मील दूर से गुजरेगा लेकिन इसके बावजूद इसे करीब से गुजरना कहा जा रहा है, यह सुनकर सचमुच बहुत हैरत होती है। 

इस Asteroid को वैज्ञानिकों ने 527768 (1998 OR2) नाम दिया है। यह पृथ्‍वी से लगभग चार मिलियन किमी दूर से गुजर जाएगा। यह दूरी कितनी है, इसे ऐसे समझें। यह आंकड़ा पृथ्‍वी एवं चंद्रमा के बीच की दूरी का करीब 16 गुना ज्‍यादा है। यानी पृथ्‍वी पर इसका सीधे तौर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला।

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