यूसुफ खान, ब्यूरो चीफ, धौलपुर (राजस्थान), NIT:

धौलपुर जिले व शहर भर में नियमों को ताक पर रखकर बाल वाहिनी सडक़ों पर दौड़ रही हैं और विभाग के आला अफसर बेखबर बने बैठे हैं। परिवहन विभाग के अधिकारियों के पास तो बाल वाहिनी के खिलाफ की गई कार्रवाई के कोई आंकड़े ही उपलब्ध नहीं हैं। बाल वाहिनी योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए गठित की गई समिति की भी कई माह से बैठक नहीं हुई है।
परिवहन विभाग के नियमानुसार वैन में ड्राइवर की सीट पर बच्चों का परिवहन नहीं किया जा सकता लेकिन हॉस्पिटल रोड पर ऑटो धौलपुर क्षेत्र में एक निजी स्कूल की वैन में न केवल बच्चे ड्राइवर की सीट पर बैठकर यात्रा कर रहे थे बल्कि एक बच्चे को तो जान जोखिम में डालकर चालक के वाहन की केबिन में बैठा रखा था। इतना ही नहीं चालक की सीट पर बैठे बच्चों के पैर ऑटो से बाहर झूलते रहते हैं। शहर के कई क्षेत्रों में बैन ऑटो व बाल वाहिनी के रूप में संचालित वाहनों का जायजा लिया तो ऐसे ही हालात नजर आए।
नियमानुसार परिवहन के समय ऑटो में बच्चों की सुरक्षा के लिए बाईं ओर (चढऩे/उतरने वाले गेट पर) लोहे की जाली लगाकर बंद करना चाहिए… लेकिन शहर भर में स्कूली बच्चों का परिवहन करने वाले वैन में इस नियम की धज्जियां उड़ती नजर आ रही हैं। ऑटो में क्षमता से ज्यादा बच्चों का परिवहन किया जाता है और उनकी सुरक्षा के लिए लोहे की जाली आदि के भी इंतजाम नहीं किए गए हैं ऐसे में बच्चों पर दुर्घटना का खतरा मंडराता रहता है।
नियमानुसार बस/वैन/कैब/ऑटो के पीछे विद्यालय का नाम, फोन नम्बर, अनिवार्य रूप से लिखा होना चाहिए लेकिन इसका भी पालना नहीं किया जाता है साथ ही बस के अंदर चालक का नाम, पता, लाइसेंस नम्बर, बैच नम्बर, वाहन स्वामी का नाम व मोबाइल नम्बर, चाइल्ड हेल्प लाइन, यातायात पुलिस व परिवहन विभाग हेल्प लाइन नम्बर भी लिखा होना चाहिए जो की नहीं होता।
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