मुंबई मिरर की 1 अक्टूबर के अंक में लीड स्टोरी है. पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक से रातों-रात 49 फिक्स्ड डिपॉजिट तुड़वाये गये. ये रकम लगभग 16 करोड़ रुपये के बराबर है. अखबार ने सवाल उठाया है कि आखिर एक साथ इतने लोगों ने यह फैसला क्यों किया?
रिपोर्ट का सीधा-सीधा मतलब यह है कि बैंक के खिलाफ आरबीआइ की कार्रवाई की ख़बर सलेक्टिव तरीके से लीक की गई. जिन्हें पता था, उन्होंने पैसे निकाल लिये और बाकी लोगों के घर में मातम है.
बेटी की शादी के लिए एफडी करवाने वाले एक बुजुर्ग के हार्ट अटैक की खबर आ चुकी है. तबाही और घनघोर डिप्रेशन से भरी ऐसी दर्जनों कहानियाँ हर रोज़ मुंबई के अखबारों में आ रही हैं.
अगर मिरर यह रिपोर्ट नहीं छापता, तब भी लोग यह मानकर चलते कि कुछ ना कुछ गोलमाल हुआ होगा. वित्तीय तंत्र की ईमानदारी और पारदर्शिता पर इस देश में यकीन अब किसे है? नोटबंदी लागू होने के बाद कई ऐसी खबरें आई थीं कि कुछ चुनिंदा उद्योगपतियों के यहाँ कैश का लेन-देन कई महीना पहले बंद हो चुका था.
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