जन भागीदारी से चौकीदारी, बंद हो गयी सेंधमारी

नरेंद्र इंगले, ब्यूरो चीफ, जलगांव (महाराष्ट्र), NIT:

पूरे देश में लोकसभा चुनाव का मौसम चरम पर है। 2014 में प्रचार के दौरान जनता का प्रतिक बन चुकी “चाय” की जगह आज “चौकिदार” ने ले रखी है। इसी बीच यह बात बिल्कुल अलहदा है कि चाय में लोकस्नेह के चस्के वाली जो मिठास थी वह चौकिदार के रौब में शायद दिखाई नहीं पड रही है। बहरहाल रोचकता कहें या मजबूरी इन्हीं चुनावों के बीच महाराष्ट्र के जलगांव जनपद के जामनेर शहर में बढती सेंधमारियों के कारण आतंकित आम नागरिकों को अंजान अपराधियों से खुद की और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए अपने घरों और इलाकों की चौकिदारी करना पड रही है। जामनेर के रिहायशी इलाकों में बीते दो महीनों से नौकरी पेशा और युवक मित्र मिलकर पुलिस प्रशासन के समन्वय से रात की गश्त में डटे हैं। वैसे बीते साल भर में शहर या आसपास के इलाकों में हुई सेंधमारी की सफ़ल वारदातों को लेकर पुलिस प्रशासन की जांच में किसी खास उपलब्धि की बात रेखांकित नहीं हो सकी है।

55 वर्ष के किशोर तायडे जो कि मधुमेह के मरीज हैं बताते हैं कि हम करीब 10 – 15 लोग कुछ हिस्सों में बंटकर हाथ में लाठियां और बगल में टार्च लेकर रात के 12 बजे से सुबह के 4 बजे तक कालोनी परीसर के चारों तरफ़ चौकसी पर तैनात रहते हैं। सभी के पास मोबाइल फ़ोन है जिससे आपस में संपर्क हो पाता है। स्थानीय पुलिस के कर्मीगण भी उनकी रुटीन पेट्रोलिंग के दौरान हमसे मिलकर अपडेट लेते रहते हैं और हमारे साथ ग्रुप फ़ोटो खिंचवाते हैं। जबसे नागर में गश्त शुरु हुई है तबसे सेंधमारी की कोई वारदात नहीं हुई है। अभी तो कालोनी इलाकों की ओर पडने वाले खुले खेतों तथा मैदानों पर पैनी नजर रखी जानी चाहिए क्योंकि चोर इन्हीं रास्तो से कालोनियों में दाखिल होते हैं जिसके चलते कई बार अफवाहों की बाढ़ सी आ जाती है तब काफ़ी परेशानी होती है। आत्मरक्षा के लिए शहर के नए इलाकों में इसी तरह लोगों ने प्रशासन की अपील पर गश्त टीमों का गठन किया है। यह पहल अपने आप में अनूठी इस लिए भी है क्योंकि राज्य के मंत्रालय में जामनेर आज कयादत कर रहा है बावजुद इसके सिस्टम को बिना कोसे जमीनी हकीकत से वाकिफ़ यह लोग प्रशासन में जन सहभागिता का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करने के साथ ही बिना किसी शिकायत के अच्छे नागरीक होने कि अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।



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