भोपाल। गुरूवार रात करीब 9 बजे खबर आई कि सीएम शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ बुधनी से कांग्रेस एक बड़े नेता को उतारने जा रही है। थोड़ी देर बाद लिस्ट सामने आ गई। इसमें बुधनी के आगे नाम लिखा था: अरुण यादव। हां वहीं अरुण यादव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं प्रदेश अध्यक्ष पद से अचानक बेदखल कर दिए गए कांग्रेस नेता। अब सवाल यह उठ खड़ा हुआ है कि अरुण यादव, सीएम शिवराज सिंह के खिलाफ बड़ा नाम हैं या बलि का बकरा।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद से अरुण यादव लगातार अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। जिस तरह से उनको हटाया गया, निश्चित रूप से अपमान जनक था लेकिन क्या करते। बस रूठे रहे। ज्योतिरादित्य सिंधिया मनाने का दिखावा किया और दिग्विजय सिंह ने कान में मंत्र फूंका, अरुण यादव चुप हो गए।
कहा गया कि अरुण यादव को चुनाव में महत्व दिया जाएगा परंतु ऐसा भी नहीं हुआ। टिकट वितरण के समय खबर आई कि यादव की सलाह ली जा रही है परंतु ऐसा भी नहीं हुआ। अब बुधनी से टिकट दे दिया है। निश्चित रूप से अरुण यादव एक बड़ा नाम है लेकिन सवाल यह है कि बुधनी की जनता शिवराज सिंह के बजाए अरुण यादव को क्यों चुने जबकि यादव का बुधनी से कोई रिश्ता ही नहीं। अरुण यादव, अटलजी जैसे मास लीडर भी नहीं हैं जो अपने भाषणों से जनता को प्रभावित कर पाएं। कहीं ऐसा तो नहीं एक प्लानिंग यादव को उतारा गया ताकि शिवराज सिंह की राह में कोई रोड़ा ना आए और यादव भी स्वाहा हो जाए।
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